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जब भी मंदिर की बात आती है, हमारे मन में एक पवित्र और सात्विक छवि बनती है जहां फल, मिठाई या दूध जैसे शुद्ध शाकाहारी भोग चढ़ाए जाते हैं। लेकिन भारत की विविध संस्कृति में कुछ ऐसे भी मंदिर हैं जहां मांस, मछली और यहां तक कि शराब को भी प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है। यह परंपराएं खासतौर पर तांत्रिक पूजा पद्धति और उग्र देवताओं की आराधना से जुड़ी होती हैं। आइए जानते हैं भारत के 8 ऐसे मंदिरों के बारे में जहां ये अनोखी परंपराएं निभाई जाती हैं—
(Photo Source: Pexels) -
काल भैरव मंदिर, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
उज्जैन में स्थित काल भैरव मंदिर में शराब चढ़ाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। भक्त एक बोतल में शराब भरकर चढ़ाते हैं, और मान्यता है कि भगवान स्वयं उसे ग्रहण करते हैं। बची हुई शराब को भक्तों में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। (Photo by Archana Keshri/Jansatta.com) -
कालीघाट मंदिर, कोलकाता
51 शक्तिपीठों में से एक यह मंदिर प्रतिदिन पशु बलि की परंपरा निभाता है। हालांकि देवी काली को शाकाहारी भोग ही चढ़ाया जाता है, लेकिन उनकी सहायक शक्तियों—डाकिनी और योगिनी—को मांस अर्पित किया जाता है, जिसे बाद में पकाकर भक्तों को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। (Photo Source: Kolkata Tourism)
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कामाख्या मंदिर, असम
गुवाहाटी स्थित यह शक्ति पीठ भारत के सबसे प्रमुख तांत्रिक मंदिरों में से एक है। यहां दोपहर 1 से 2 बजे के बीच देवी कामाख्या को बकरे का मांस और कभी-कभी मछली का भोग लगाया जाता है। इस समय मंदिर को आम श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया जाता है। खास बात यह है कि इस भोग में प्याज और लहसुन का उपयोग नहीं किया जाता। (Photo Source: kamakhya.org) -
मुनियंडी स्वामी मंदिर, तमिलनाडु
मदुरै के पास वडक्कमपट्टी गांव में स्थित इस मंदिर में हर साल तीन दिवसीय उत्सव में 2,000 किलो से अधिक चिकन और मटन बिरयानी पकाई जाती है। यह भोग भगवान मुनियंडी (शिव के स्वरूप) को अर्पित किया जाता है और फिर भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। (Photo Source: Yappe.in) -
परस्सिनिकडवु मुथप्पन मंदिर, केरल
भगवान मुथप्पन को समर्पित इस मंदिर में भक्त तली हुई या बेक्ड मछली और देसी ताड़ी (ताड़ी शराब) का भोग चढ़ाते हैं। यहां रोज ‘थेय्यम’ नामक पारंपरिक नृत्य अनुष्ठान होता है और भोग का प्रसाद हर जाति और धर्म के लोगों को समान रूप से बांटा जाता है। (Photo Source: templepurohit.com)
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तारापीठ मंदिर, पश्चिम बंगाल
मां तारा को समर्पित इस मंदिर में बकरी का मांस, ‘सोल मछली’ और ‘करण सुधा’ नाम की देसी शराब अर्पित की जाती है। यह मंदिर भी तांत्रिक परंपराओं पर आधारित है और यहां विशेष अनुष्ठानों के दौरान मांस और शराब को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। (Photo Source: tarapithomline.com) -
तरकुलहा देवी मंदिर, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में आयोजित होने वाले चैत्र नवरात्रि खिचड़ी मेला के दौरान भक्त अपनी मन्नत पूरी होने के बाद बकरा बलि चढ़ाते हैं। इस मांस को मिट्टी के बर्तनों में पकाया जाता है और फिर श्रद्धालुओं में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। (Photo Source: Tarkulha Devi Temple) -
विमला मंदिर, पुरी (ओडिशा)
पुरी के जगन्नाथ मंदिर परिसर के भीतर स्थित यह मंदिर देवी विमला (दुर्गा का रूप) को समर्पित है और इसे शक्तिपीठ माना जाता है। दुर्गा पूजा के समय, मार्कंडा सरोवर की पवित्र मछलियों और बकरे की बलि का मांस पकाकर देवी को चढ़ाया जाता है। यह सब सूर्योदय से पहले होता है, जब तक भगवान जगन्नाथ के मुख्य द्वार नहीं खुले होते। इस भोग को ‘विमला परुसा’ कहा जाता है और इसे उन्हीं भक्तों को दिया जाता है जो बलि की पूरी प्रक्रिया में उपस्थित रहते हैं। (Photo Source: bhubaneswartourism.in)
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