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तकनीक और नए अविष्कारों ने इस पूरी दुनिया को एक ग्लोबल विलेज में तब्दील कर दिया है। मैसेजिंग ऐप्स और सोशल नेटवर्किंग के ज़रिए हर कोई हर किसी से जुड़ा हुआ है। लेकिन आज भी इस विश्व में ऐसी कुछ जनजातियां हैं जिन्होंने वर्तमान समाज से दूरी बना रखी है। वो आदिमानवों की तरह अपना जीवन जीते हैं। ये सिर्फ़ दुनिया से अलग – थलग ही नहीं हैं बल्कि बेहद ख़तरनाक होते हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही 4 सबसे ख़तरनाक और आइसोलेटेड आदिवासियों के बारे में:
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कोरूबो जनजाति ( ब्राज़ील ) – ये जनजाति पश्चिम अमेज़ॉन बेसिन में रहती है। इस जनजाति के सदस्य पृथ्वी पर रहने वाली कोरुगो ट्राइब्स की आख़िरी पीढ़ियों में से हैं। इनकी पुरानी पीढ़ियां अपने आस पास के समुदायों से हिंसक झड़प करती थीं। इन जनजातियों के पास धारदार हथियार भी होते है। ये लोग कई मौकों पर शिशु – हत्या करते हैं। कोरुबो जनजाति के लोग मछली, मकड़ी, जंगली सूअर, बंदर ,पक्षी आदि खाते हैं। इन्हें कृषि का थोड़ा बहुत ज्ञान है। (Photo: Social Media)
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मास्चो – पिरो जनजाति ( पेरू) – ये शिकारी आदिवासी अमेज़ॉन के जंगलों में रहते हैं। ये पत्तों से अपने घर बनाते हैं और शिकार के ज़रिए अपना पेट पालते हैं। ये बाहरी दुनिया से किसी भी तरह का संपर्क पसंद नहीं करते। पेरू की सरकार ने भी इस ट्राइब के साथ बाहरी दुनिया का संपर्क निषिद्ध कर दिया है। ऐसा इसलिए ताकि इन्हें हमारी दुनिया के बीमारियों और वायरस से इन्हें बचाया जा सके। इस जनजाति की इम्यूनिटी अभी बाहरी दुनिया के बीमारियों के लिए तैयार नहीं हैं। (Photo: Youtube)
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मुर्सी जनजाति ( उत्तरी इथोपिया और सूडान बॉर्डर) – ये जनजाति भी आम इंसानों के लिए बेहद ख़तरनाक मानी जाती है। ये कई तरह के आधुनिक हथियार सूडान और सोमालिया से गायों के बदले में खरीदते हैं। आपसी कबीलों की लड़ाई में जाने से पहले ये गाय के खून का सेवन करते हैं। इनकी मान्यता है कि गाय का खून पीने से वो ताकतवर बन जाते हैं। जो लोग गाय का खून पीते हैं, कबीले में उनका सम्मान भी बढ़ जाता है । बॉडी मॉडिफिकेशन की प्रक्रिया के तहत यहां की महिलाएं रूह कंपा देने वाला काम करती हैं। वे अपने निचले होठ में लकड़ी या मिट्टी का चक्र लगाती हैं, जिसे देखकर ही हम आप डर जाएं । (Photo: Youtube)
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सेंटिनल जनजाति ( अंडमान निकोबार द्वीप समूह ) – ये जनजाति शायद दुनिया की सबसे अनोखी और ख़तरनाक जनजाति है। ये ट्राइब्स दुनिया से किसी भी तरह का सम्बन्ध नहीं रखना चाहते हैं। अपने आइलैंड पर आने वालों की तरफ़ ये काफ़ी हिंसक हो जाते हैं। 2006 में इस जनजाति के लोगों ने दो मछुआरों को मार दिया था। नवंबर 2018 में भी सेंटिनल जनजाति के लोगों ने अमरीकी पर्यटक जॉन एलेन चाऊ की भी हत्या कर दी। 1956 में भारत सरकार ने इस आइलैंड को ट्राइबल रिजर्व घोषित कर दिया और इसके 3 माइल के दायरे में प्रवेश को निषिद्ध कर दिया। शोधकर्ताओं के अनुसार 60 हज़ार साल पहले सेंटिनल जनजाति के लोग अफ्रीका से अंडमान निकोबार के उत्तरी द्वीप में आए थे। एकांतप्रिय सेंटिनल जनजाति से मेलजोल की हर कोशिश बेकार साबित हुई है। (Photo: National Geographic)
