-
हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व माना जाता है। पितरों की तृप्ति और आशीर्वाद पाने के लिए इस काल में तरह-तरह के धार्मिक कर्मकांड किए जाते हैं। इसी क्रम में प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने एक खास उपाय बताया है, जिसे करने से घर में कभी धन और संपदा की कमी नहीं रहती। (PTI Photo)
-
श्राद्ध पक्ष का महत्व
भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन मास की अमावस्या तक चलने वाले 16 दिनों को पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष कहा जाता है। इस दौरान लोग अपने पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करते हैं। (PTI Photo) -
धार्मिक मान्यता है कि इन दिनों में किया गया श्राद्ध और दान सीधे पितरों तक पहुंचता है और वे प्रसन्न होकर परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। (PTI Photo)
-
बस एक रोटी से दूर होगी दरिद्रता
पंडित प्रदीप मिश्रा के अनुसार श्राद्ध पक्ष के 16 दिनों में से किसी भी एक दिन आप एक विशेष उपाय करके अपने घर से दरिद्रता और धन की कमी को दूर कर सकते हैं। (PTI Photo) -
किसी भी एक दिन जब आप घर पर फुर्सत में हों, उस दिन एक रोटी तैयार करें। इस रोटी में थोड़ी सी शक्कर या गुड़ और थोड़ा सा चावल रखें। (Photo Source: Pexels)
(यह भी पढ़ें: पितरों की नाराजगी से चाहते हैं बचना? पितृपक्ष में इन वस्तुओं की न करें खरीदारी, जानिए क्यों) -
उन्होंने कहा कि चावल की जगह खीर बनाकर उसमें भरना और भी उत्तम माना गया है। इस रोटी को भरने के बाद भगवान शिव के वृषाकपि (विशकपी) स्वरूप का नाम लेकर घर के दरवाजे पर खड़े होकर गौमाता को यह भोजन अर्पित करें। (Photo Source: Pexels)
-
क्यों है यह उपाय खास?
पौराणिक मान्यता के अनुसार वृषाकपि भगवान शिव का एक अवतार हैं। जब श्राद्ध पक्ष में उनके नाम से गाय माता को यह अर्पण किया जाता है, तो पितर प्रसन्न होते हैं और घर-परिवार पर अन्न-धन और सुख-समृद्धि की वर्षा होती है। (Photo Source: Unsplash) -
लाभ
घर में कभी धन और संपदा की कमी नहीं होती। पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद परिवार को प्राप्त होता है। (PTI Photo) -
पंडित प्रदीप मिश्रा का संदेश
पंडित प्रदीप मिश्रा का कहना है कि यह उपाय करना न तो कठिन है और न ही महंगे साधनों की आवश्यकता होती है। केवल एक साधारण रोटी, थोड़ी सी मिठास और श्रद्धा के साथ किया गया यह कर्मकांड घर की दरिद्रता को दूर करने में सहायक होता है। (PTI Photo)
(यह भी पढ़ें: पितृपक्ष में क्यों खास है काशी का यह अद्भुत तीर्थ, यहां किया गया श्राद्ध और पिंडदान क्यों माना जाता है सर्वश्रेष्ठ?)
