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दीपावली से एक दिन पहले आने वाला पर्व छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। यह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 19 अक्टूबर को मनाया जाएगा। (Photo Source: Pexels)
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छोटी दिवाली का विशेष महत्व है, क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक असुर का वध कर 16,000 स्त्रियों को कैद से मुक्त कराया था। इस कारण इस दिन को रूप चौदस भी कहा जाता है। (Photo Source: Pexels)
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छोटी दिवाली का महत्व
छोटी दिवाली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत और धर्म की स्थापना का प्रतीक माना जाता है। इस दिन घर-घर में दीप जलाए जाते हैं और मुख्य दरवाजे पर चौमुखी दीपक रखकर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। (Photo Source: Pexels) -
छोटी दिवाली पर किसकी पूजा करें?
भगवान श्रीकृष्ण – मान्यता है कि नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से पाप नष्ट होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है। (Photo Source: Pexels) -
यमराज – मृत्यु के देवता यमराज की पूजा इस दिन विशेष रूप से की जाती है। कहते हैं कि छोटी दिवाली पर यमराज की आराधना करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। (Photo Source: Freepik)
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मां लक्ष्मी – धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी जी की भी इस दिन पूजा की जाती है। लक्ष्मी माता की कृपा से घर में खुशहाली और धन-धान्य की वृद्धि होती है। (Photo Source: Unsplash)
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भगवान गणेश – हर शुभ कार्य की तरह छोटी दिवाली की पूजा की शुरुआत भी गणेश जी की आराधना से होती है। (Photo Source: Pexels)
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पूजा विधि
प्रातः सूर्योदय से पहले स्नान करें। इस स्नान को अभ्यंग स्नान कहा जाता है। पानी में गंगाजल मिलाना शुभ माना जाता है। स्नान के बाद भगवान गणेश और माता लक्ष्मी का जलाभिषेक करें। (Photo Source: Pexels) -
चंदन, कुमकुम, पुष्प, धूप-दीप से पूजा अर्चना करें। मंदिर में घी का दीपक जलाएं और चौमुखी दीपक मुख्य द्वार पर रखें। पूजा में लक्ष्मी चालीसा, श्री सूक्त और नरकासुर वध कथा का पाठ करना शुभ माना जाता है। (Photo Source: Unsplash)
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विशेष मान्यता
छोटी दिवाली पर तेल से मालिश करके स्नान करने की परंपरा है। इसे रूप चौदस स्नान कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन स्नान करने से शरीर और मन की नकारात्मकता दूर होती है और व्यक्ति का रूप-तेज बढ़ता है। (Photo Source: Pexels)
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