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Mayawati Vs Raja Bhaiya: राजा भैया यूपी के ऐसे चर्चित निर्दलीय विधायक रहे जो मुलायम सिंह (Mulayam Singh yadav), अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) से राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) और कल्याण सिंह (Kalyan Singh) के काफी करीब रहे। योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) से भी राजा भैया के संबंध बेहद मधुर हैं। पिछले करीब 30 सालों में यूपी में मायावती (Mayawati) ही एक ऐसी मुख्यमंत्री रहीं जिनके साथ राजा भैया (Raja Bhaiya) की नहीं बनी। मायावती के सीएम रहते राजा भैया अलग-अलग समय पर लगभग 26 महीनों तक बंद रहे। राजा भैया के पिता उदय प्रताप सिंह को भी बीएसपी (BSP) चीफ ने जेल भिजवाया था। मायावती और राजा भैया की अदावत साल 2002 में शुरू हुई जब बीएसपी ने बीजेपी (BJP) के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। सरकार बनते ही मायावती ने राजा भैया को यूपी सरकार को अस्थिर करने के आरोप में गिरफ्तार करवा दिया था। आइए जानें पूरा मामला:
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2002 के विधानसभा चुनावों में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला। हालांकि सबसे ज्यादा सीटें सपा को मिली थीं। उसे 143, बीएसपी को 98, बीजेपी को 88, कांग्रेस को 25 और अजीत सिंह की रालोद को 14 सीटें आई थीं। किसी भी पार्टी की सरकार न बनते देख पहले तो राष्ट्रपति शासन लगा फिर बीजेपी और रालोद के समर्थन से तीन मई, 2002 को मायावती मुख्यमंत्री बन गईं।
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मायावती की सरकार बनी तो समाजवादी पार्टी और उसके समर्थित निर्दलीय विधायकों ने खूब हंगामा किया। करीब 20 विधायकों ने तत्कालीन यूपी राज्यपाल विष्णुकांत शास्त्री से मिलकर मायावती सरकार को बर्खास्त करने की मांग की थी।
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कुंडा से एमएलए राजा भैया और जौनपुर के धनंजय सिंह इन 20 विधायकों में प्रमुख थे। वहीं से राजा भैया मायावती की निगाहों में चढ़ गए। मौका मिलते ही बीएसपी चीफ ने राजा भैया पर पलटवार किया।
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नवंबर 2002 में मायावती ने यूपी सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगा राजा भैया को गिरफ्तार करवा दिया। फिर कुछ दिनों बाद उनपर पोटा भी लगा दिया। बीजेपी ने इसके खिलाफ आवाज उठाई। हालांकि उसी के सपोर्ट से मायावती सरकार बनी थी वह खुद भी सरकार में शामिल थी।
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बीजेपी और मायावती के रिश्तों में दरार पड़ने लगी। नतीजा ये हुआ कि कुछ समय बाद ये गठबंधन टूट गया और मायावती ने सीएम के पद से इस्तीफा दे दिया।
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मायावती पर कई दलों ने ये आरोप लगाए कि वह राजा भैया पर जातिगत और द्वेष की भावना से कार्रवाई कर रही हैं। इसके जवाब में मायावती ने एक पीसी की थी और इन आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा था कि राजा भैया लंबे समय से आतंकवाद को बढ़ावा देने में लगे हुए थे।
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मायावती के हटने के बाद मुलायम सीएम बने। मुलायम ने राजा भैया को जेल से बाहर निकलवाया। बाद में उनपर से पोटा भी हट गया।
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मायावती की अलग-अलग सरकारों में राजा भैया पर जितने भी मुकदमे दर्ज हुए वह लगभग सभी से बरी हो चुके हैं लेकिन मायावती और राजा भैया की अदावत आज भी जारी है।
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ये मायावती से दुश्मनी ही है जिसने राजा भैया और अखिलेश यादव के बीच दरार पैदा कर दी। दरअसल राजा भैया के राजनीतिक साथी अखिलेश ने मायावती संग 2019 में गठबंधन किया जो कुंडा विधायक को रास नहीं आया। अपने दुश्मन से हाथ मिलाने के कारण राजा भैया ने अखिलेश यादव से किनारा कर लिया।
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Photos: Indian Express, PTI and Social Media