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Mayawati Vs Dhananjay Singh: मायावती बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। 1984 में दिवंगत कांशीराम ने इस पार्टी की स्थापना की थी। उनके निधन के बाद मायावती ही पार्टी की सर्वेसर्वा हैं। मायावती के नेतृत्व में बीएसपी (BSP) कई बार यूपी की सत्ता पर काबिज हुई। लेकिन पिछले 37 सालों में वह सिर्फ एक बार ही जौनपुर से अपना लोकसभा सांसद बना पाई। बसपा की तरफ से बाहुबली धनंजय सिंह ने मायावती की झोली में जौनपुर की लोकसभा सीट डाली थी। हालांकि मायावती ने उन्हें सांसद बनने के करीब 1.5 साल बाद ही बसपा से निकाल दिया था। आइए जानें पूरा मामला:
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धनंजय सिंह का नाम यूपी के बाहुबली नेताओं में प्रमुखता से गिना जाता है। उनपर हत्या और हत्या के प्रयास जैसे कई संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं। राजनीति में आने से पहले से ही वह यूपी पुलिस के लिए 50 हजार के मोस्ट वॉन्टेड अपराधी बन चुके थे।
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पहली बार 2002 में धनंजय सिंह ने जौनपुर की रारी विधानसभा सीट से चुनाव जीता। यह चुनाव वह निर्दलीय ही जीते थे। धनंजय सिंह को वोट भी अच्छी खासी तादाद में मिले थे।
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धनंजय सिंह के प्रदर्शन को देखते हुए 2007 में बीजेपी और जदयू ने संयुक्त रूप से उन्हें अपना विधानसभा प्रत्याशी बनाया। धनंजय ने उन्हें निराश नहीं किया और एक बार फिर से रारी विधानसभा से विजयी हुए।
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2007 में यूपी में बीएसपी की सरकार बनी और मायावती मुख्यमंत्री बन गईं। मायावती के सत्ता में आने के बाद धनंजय सिंह उनके करीब आए और सालभर के अंदर ही बीएसपी जॉइन कर ली। (यह भी पढ़ें: जब मुलायम ने बिगाड़ दिया था धनंजय सिंह का बना बनाया खेल, बाहुबली को झेलनी पड़ी थी हार)
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जिस जौनपुर से तब तक कोई बीएसपी का सांसद प्रत्याशी नहीं जीता था उसी सीट से 2009 में मायावती ने धनंजय सिंह को अपना कैंडिडेट बनाया।धनंजय सिंह ने बीएसपी के 25 साल की सूखा खत्म करते हुए जौनपुर लोकसभा सीट जीत कर मायावती की झोली में डाल दी। इस तरह से जौनपुर का यह बाहुबली पहली बार संसद तक पहुंचा।
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2011 में मायावती ने धनंजय सिंह को पार्टी के खिलाफ काम करने का आरोप लगाते हुए उन्हें बीएसपी से निकाल दिया। बीएसपी से निकाले जाने के बाद धनंजय फिर कभी राजनीतिक तौर पर खड़े नहीं हो पाए।(यह भी पढ़ें: शादी के 9 दिन बाद ही हो गई थी पति की हत्या, झाड़ू-पोंछा करने वालीं पूजा ने खत्म कर दिया था अतीक का करियर)
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उन्होंने 2012 में अपनी पत्नी को यूपी विधानसभा चुनाव लड़ाया, वो हार गईँ। धनंजय खुद 2014 का लोकसभा और 2017 का विधानसभा चुनाव लड़े, वो भी हार गए। 2019 में वह चुनाव ही नहीं लड़े।(यह भी पढ़ें: 10 साल में 3 बार दूल्हा बने धनंजय सिंह, एक ने की सुसाइड तो दूसरी पत्नी से हुआ तलाक)
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बीएसपी से निकाले जाने की पीछे की वजह धनंजय बताते हैं कि मायावती ने मुझे इसलिए पार्टी से निकाला क्योंकि वो अधिनायक की तरह काम करती हैं और हमारे साथ वो चल नहीं सकता था।(यह भी पढ़ें: किसी का हुआ मर्डर तो किसी का सड़क हादसे में उजड़ा सुहाग, पति की मौत के बाद राजनीति में उतरीं यूपी की ये नेत्रियां)
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Photos: PTI and Social Media