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महाशिवरात्रि हिन्दू धर्म में भगवान शिव की आराधना का सबसे पवित्र पर्व माना जाता है। इस दिन शिव भक्त उपवास रखते हैं, शिवलिंग का अभिषेक करते हैं और पूरी श्रद्धा से भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन की गई पूजा मनोकामनाओं की पूर्ति और पापों से मुक्ति दिलाती है। (Photo Source: Pexels)
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इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा। यह तिथि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आती है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था, इसलिए यह दिन बेहद शुभ माना जाता है। (Photo Source: Pexels)
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हालांकि, शास्त्रों में भगवान शिव की पूजा को लेकर कुछ नियम बताए गए हैं। कुछ विशेष चीजें ऐसी हैं जिन्हें शिवलिंग पर चढ़ाना अशुभ माना जाता है। ऐसा करने से भगवान शिव नाराज हो सकते हैं। आइए जानते हैं वे 7 चीजें जो महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को बिल्कुल भी अर्पित नहीं करनी चाहिए। (Photo Source: Pexels)
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केतकी का फूल
भगवान शिव को केतकी का फूल चढ़ाना वर्जित माना जाता है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है, जिसमें ब्रह्मा जी ने झूठ बोलने के लिए केतकी के फूल का सहारा लिया था। (Photo Source: Pexels) -
इस पर भगवान शिव क्रोधित हुए और उन्होंने इस फूल को अपनी पूजा में निषेध कर दिया। इसी कारण शिवलिंग पर केतकी के फूल को अर्पित नहीं किया जाता है। इसके अलावा, लाल रंग के फूल, कमल, चंपा और कनेर के फूल भी शिव जी को नहीं चढ़ाए जाते हैं। (Photo Source: Pexels)
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हल्दी
भगवान शिव की पूजा में हल्दी का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसका कारण यह है कि हल्दी को माता लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है और इसे स्त्रियों द्वारा सुहाग व सौंदर्य प्रसाधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। (Photo Source: Freepik) -
शिव जी संन्यासी हैं और वैराग्य को धारण करने वाले देवता हैं, इसलिए उनकी पूजा में हल्दी अर्पित करना वर्जित माना जाता है। हालांकि, महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती की पूजा में हल्दी का उपयोग किया जा सकता है। (Photo Source: Pexels)
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कुमकुम या रोली
शिवलिंग पर कुमकुम या रोली भी नहीं चढ़ाई जाती है, क्योंकि ये सुहाग का प्रतीक मानी जाती हैं। शिव जी को वैभव और सांसारिक वस्तुओं से कोई लगाव नहीं है, इसलिए पूजा में इनका प्रयोग करना निषेध माना गया है। (Photo Source: Freepik) -
तुलसी के पत्ते
भगवान शिव को तुलसी चढ़ाना अशुभ माना जाता है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि तुलसी माता का पूर्व नाम वृंदा था, जो कि राक्षस जालंधर की पत्नी थीं। (Photo Source: Pexels) -
भगवान शिव ने जब जालंधर का वध किया, तो वृंदा ने शिव जी को शाप दे दिया। इसी कारण भगवान शिव की पूजा में तुलसी का प्रयोग वर्जित माना गया है। (Photo Source: Pexels)
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तिल
भगवान शिव की पूजा में तिल का प्रयोग भी निषेध है। तिल को पितरों के तर्पण और शनि देव की पूजा के लिए उपयोग किया जाता है। तिल का संबंध शनि ग्रह और मृत आत्माओं के तर्पण से होने के कारण इसे शिवलिंग पर अर्पित नहीं किया जाता है। (Photo Source: Pexels) -
नारियल और नारियल पानी
शिवलिंग पर नारियल या नारियल पानी से अभिषेक नहीं किया जाता है। नारियल को मां लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है और इसका संबंध धन-संपत्ति से होता है। (Photo Source: Pexels) -
भगवान शिव सन्यासी और त्यागी प्रवृत्ति के देवता हैं, इसलिए नारियल को शिवलिंग पर चढ़ाना अशुभ माना जाता है। हालांकि, नारियल को मंदिर में प्रसाद के रूप में चढ़ाया जा सकता है, लेकिन इसे शिवलिंग पर नहीं रखा जाता है। (Photo Source: Pexels)
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शंख से जल अर्पण
भगवान शिव को शंख से जल चढ़ाना निषेध माना गया है। इसके पीछे एक कथा है कि भगवान शिव ने शंखचूड़ नामक राक्षस का वध किया था, जो भगवान विष्णु का परम भक्त था। (Photo Source: Pexels) -
इसी कारण शंख से शिव जी को जल चढ़ाना अशुभ माना जाता है। शिवलिंग का अभिषेक करने के लिए तांबे, चांदी या कांसे के पात्र का प्रयोग किया जाता है, लेकिन शंख का उपयोग नहीं किया जाता। (Photo Source: Pexels)
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शिव पूजा के सही नियम
भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, भांग, आक के फूल और सफेद फूल चढ़ाने चाहिए। गंगाजल, गाय का दूध, शुद्ध पानी, दही, शहद और पंचामृत से अभिषेक करें। ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें। पूजा के दौरान शुद्धता और भक्ति भाव बनाए रखें। (Photo Source: Pexels)
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