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क्या काशी से गंगाजल और गीली मिट्टी लाने से पाप चढ़ता है? जानें क्यों नहीं लाना चाहिए

Is it a sin to bring Gangajal from Varanasi? काशी जाने वाले जब वापस लौटते हैं तो साथ में गंगाजल और गिली मिट्टी भी लेकर आते हैं। लेकिन क्या काशी से गंगाजल और गिली मिट्टी लेकर आने से पाप चढ़ता है?

By: Vivek Yadav
Updated: November 27, 2024 17:58 IST
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  • Should bring Gangajal from Varanasi
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    काशी, बनारस या फिर वाराणसी कहो, इस शहर के कई नाम हैं। काशी को शिव की नगरी कहते हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार इस शहर को भगवान शंकर ने ही बसाया था। (Photo: Pexels)

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    इसके साथ ही काशी को दुनिया का सबसे प्राचीन शहर बताया जाता है और ये भी मान्यता है कि काशी भगवान शंकर के त्रिशूल पर टिका है। (Photo: Indian Express)

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    काशी को मोक्ष की नगरी और मोक्ष का द्वार भी कहा जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार यहां 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास है। इसके साथ ही काशी एक मात्रा ऐसा नगर है जहां नौ गोरी देवी, नौ दुर्गा, अष्ट भैरव, 56 विनायक और 12 ज्योतिर्लिंग विराजमान हैं। (Photo: Indian Express)

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    काशी मोक्षदायिनी मां गंगा के किनारे बसा हुआ है। उनके जल को पवित्र और आत्मा को शुद्ध करने वाला माना जाता है। हिंदू धर्म में गंगा नदी का विशेष महत्व है। पूजा से लेकर हर शुभ कार्य में गंगाजल का इस्तेमाल होता है। काशी जाने वाले अपने साथ गंगाजल भी ले जाते हैं। लेकिन क्या काशी से गंगाजल लाना चाहिए या नहीं? अगर नहीं तो फिर क्यों? आइए जानते हैं: (Photo: Indian Express) काशी के अलावा दुनिया के कई और शहर हैं जो काफी पुराने हैं: इन शहरों का नाम यहां दिया गया है।

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    काशी से गंगाजल भूलकर भी नहीं लाना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार इस मोक्ष नगरी में जो भी जीव-जन्तु और इंसान आकर अपने प्राण त्यागता है उसे जन्म-मरण के चक्र से छुटकारा मिल जाता है। (Photo: Indian Express)

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    काशी से जो गंगाजल लेकर आते हैं उसके साथ उस जल में समाहित जीव-जन्तुओं को भी अपने घर ले आते हैं। मान्यता है कि किसी भी जीव को काशी से अलग करने पर उस जीव का मृत्यु और पुनर्जन्म का चक्र बाधित होता है जिसके पाप का आप भागीदार बनते हैं। (Photo: Indian Express)

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    इसके साथ ही काशी जाने वाले गंगाजल के साथ ही मिट्टी भी लाते हैं। दरअसल, गंगा की गीली मिट्टी में भी हजारों-लाखों सूक्ष्म जीव रहते हैं जो उसके साथ चले आते हैं। ऐसे में काशी से इन्हें दूर करने का पाप भी लगता है। (Photo: Indian Express)

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    इसके साथ ही ये भी मान्यता है कि काशी में दाह संस्कार किया जाता है ऐसे में उसकी राख को गंगा में विसर्जित किया जाता है जिसके लाने से उस पानी में मृतक आत्मा के अंग या अंश, राख या अवशेष आ जाते हैं। इससे भी उसके मोक्ष पाने में बाधा आ सकती है। ऐसे में अब जब भी काशी जाएं तो भूलकर भी वहां से गंगाजल और मिट्टी न लाएं। (Photo: Indian Express)

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    ये भी मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति किसी को काशी आने के लिए प्रेरित करता है तो उसे पुण्य प्राप्त होता है। वहीं, काशी से किसी को अलग करने वाला व्यक्ति पाप का भागिदार माना जाता है। (Photo: Indian Express) अब जब वाराणसी की बात हो रही है तो उत्तर प्रदेश के बारे में भी जान लेते हैं। आपमें से कितने लोगों को राज्या का पुराना नाम पता है?

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