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वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अरुप राहा ने मंगलवार को भारत में ही बने लड़ाकू विमान तेजस में उड़ान भरी। उन्होंने बेंगलुरु में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के एयरपोर्ट से उड़ान भरी और 30 मिनट तक तेजस को उड़ाया। तेजस में उड़ान भरने वाले वे भारतीय वायुसेना के पहले चीफ बन गए हैं। उड़ान के बाद राहा ने कहा कि भारतीय वायुसेना में शामिल करने के लिए तेजस अच्छा विमान है।
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तेजस का निर्माण भारत में ही हुआ है। इसे बनाने में 33 साल लगे। पहली बार तेजस विमान ने 2001 में उड़ान भरी थी। मल्टी रोल सुपरसोनिक तेजस को जल्द ही वायुसेना में शामिल किया जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि इस साल जुलाई तक तेजस विमान की पहली स्क्वाड्रन एयरफोर्स में शामिल कर ली जाएगी।
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इन लड़ाकू विमानों की अधिकतम स्पीड 1350 किलोमीटर प्रति घंटा है। इनका वजन 12 टन है। इनके निर्माण पर 55 हजार करोड़ रुपये का खर्चा आया है। एक की लागत 220-250 करोड़ रुपये है। इसके निर्माण में 65 प्रतिशत सामग्री भारतीय है। एक बार फ्यूल भरने के बाद ये लगातार 400 किमी उड़ सकता है।
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वर्तमान में वायुसेना के पास केवल 33 लड़ाकू स्क्वाड्रन है। एक स्क्वाड्रन में 16-18 विमान होते हैं। 33 स्क्वाड्रन में भी 11 तो मिग-21 और मिग-27 की है जिनकी सर्विस काफी कमजोर है। पाकिस्तान और चीन से दोनों मोर्चों पर लड़ने के लिए भारत को 45 स्क्वाड्रन की जरूरत है।
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वायुसेना में शामिल की जाने वाली तेजस की पहली स्कवाड्रन में चार विमान होगी। पहले साल में ये बेंगलुरु के हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के एयरपोर्ट से ही ऑपरेट करेंगे। एक साल बाद ये सुलुर शिफ्ट कर दिए जाएंगे।
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तेजस भारत में बनाया गया है, हालांकि इसके कई पुर्जे विदेशी हैं।
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