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गुरु पूर्णिमा का दिन गुरुओं के प्रति सम्मान और आभार व्यक्ति करने का पर्व है। इस दिन, शिष्य अपने गुरुओं की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। (Photo: Grok AI Image) सांप से भी खतरनाक होते हैं ऐसे लोग, आचार्य चाणक्य से जानें किन 7 लोगों से दूर रहना चाहिए
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गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। दरअसल, इसी दिन वेदों के रचयिता महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। आचार्य चाणक्य प्राचीन भारत के महान विद्वानों में से एक हैं। (Photo: ChatGPT)
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उनके द्वारा रचित नीति शास्त्र में उन्होंने बेहद ही सरल तरीके से जीवन जीने का सलीका सिखाया है। गुरु पूर्णिमा के मौके पर आचार्य चाणक्य को अपना गुरु बना लें और फिर देखें क्या चमत्कार होता है। जब भी आप मुसीबत में हों और लगे कि सब कुछ खत्म हो गया है तो उस दौरान ये 10 बातें याद रखें। हर हालात से बाहर निकल सकते हैं। (Photo: ChatGPT)
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1- विद्या, अभ्यास, भगवान नाम का जाप और दान से एक व्यक्ति को कभी संतुष्ट नहीं होना चाहिए। हार को जीत में बदल सकती हैं चाणक्य नीति की ये 10 बातें, हर मुसीबत में रखें याद
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2- एक व्यक्ति को अपनी पत्नी, भगवान का दिया भोजन और धन से हमेशा संतुष्ट रहना चाहिए।
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3- जो व्यक्ति आर्थिक व्यवहार करने में, ज्ञान अर्जन करने में, खाने में और काम-धंदा करने में नहीं शर्माता है वो सुखी हो जाता है।
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4- एक बुद्धिमान व्यक्ति को अपनी ये बातें किसी को नहीं बतानी चाहिए- धन का नाश, क्रोध, पत्नी ने गलत व्यवहार किया, लोगों ने उसे अपशब्द कहे और उसका अपना हुआ है। अमृत के समान है गीता की ये 10 बातें, जीवन के दलदल से निकलने में होगी आसानी
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5- ब्राह्मण अच्छे भोजन से, मोर बादल के गरजने से, साधु दूसरों की सम्पन्नता देखकर और एक दुष्ट व्यक्ति दूसरों की विपदा देखकर संतुष्ट होते हैं।
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6- अत्यंत सीधे स्वभाव से नहीं रहना चाहिए। क्योंकि, जंगल में जाकर देखेंगे तो पाएंगे कि जो पेड़ सीधे उगे उन्हें काट दिया गया और जो पेड़ आड़े तिरछे उगे वो खड़े हैं।
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7- वह व्यक्ति जिसके पास धन है उसके पास मित्र और संबंधी भी बहुत होते हैं। वही पुरुष माना जाता है और उसी की परिवार-समाज में इज्जत होती है।
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8- शांति के समान कोई तप नहीं है, संतोष से श्रेष्ठ कोई सुख नहीं, तृष्णा से बढ़कर कोई रोग नहीं और दया से बढ़कर कोई धर्म नहीं है।
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9- गरीबी पर धैर्य से मात करें, पुराने वस्त्रों को स्वच्छ रखें, बासी अन्न को गरम करें और अपनी कुरूपता पर अपने अच्छे व्यवहार से मात करें।
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10- निर्धन होने से कोई धनहीन नहीं गिना जाता है। लेकिन जो धनवान होते हुए भी विद्या हीन है वह निर्धन के समान है। वक्त कितना भी खराब हो बस याद रखें चाणक्य नीति की ये बातें, खुल जाएंगे सफलता के दरवाजे
