एनसीपी नेता छगन भुजबल कभी उधार पैसे लेकर सब्जिया बेचा करते थे, आज उन पर 800 करोड़ रुपए का घोटाला करने का आरोप है। हम आपको बता रहें हैं उनके बचपन से लेकर अब तक की कहानी। 69 वर्षीय भुजबल को प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप में 14 मार्च को गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर आरोप है कि 2004-14 तक कांग्रेस-एनसीपी की सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री रहते हुए उन्होंने भ्रष्टाचार किया था। भुजबल और उनके भाई-बहन नासिक के बगवनपुरा की गलियों में बड़े हुए हैं। यहां उनका परिवार मुस्लिम परिवारों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर रहता था। (Express archive photo) -
भुजबल के माता-पिता की मौत उस वक्त हो गई थी, जब वे दो साल के थे। एक इंटरव्यू में उन दिनों के बारे में भुजबल बताते हैं कि मुझे और मेरे भाई-बहनों को मेरी मां की चाची जानकीबाई ने पाला था, जिसे हम लोग दादी कहते थे। रोज सुबह छगन और उनके बड़े भाई मगन अंजिरवाड़ी से बायकुल्ला सब्जी मंडी पैदल जाते थे। वहां माली जाति(छगन भी इसी जाति से ताल्लुक रखते हैं) के लोग पैसे इकट्ठे करते थे और दोनों भाईयों की सब्जी खरीदने के लिए मदद करते थे। दोनों भाई और उनकी चाची मिलकर मझगांव के घर के बाहर सब्जी बेचा करते थे। (Express archive photo)
माटुंगा में एक इंजीनियरिंग छात्र भुजबल ने शिवाजी पार्क में शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे की एक रैली अटैंड की थी, जहां वे सेना चीफ के भाषण से काफी प्रभावित हुए और उसके बाद शिवसेना ज्वाइन करने का फैसला किया। साल 1973 में ठाकरे ने उनकी बीएमसी पार्षद बनने में मदद की। उसके बाद वे दो बार मेयर भी रहे। 1985 में मझगांव से शिवसेना विधायक बने और दो बार जीते। लेकिन बाद में शिवसेना में रहते हुए उन्हें चीजें कुछ अपने मुताबिक नहीं लग रही थी। 1991 में मंडल आंदोलन अपने चरम पर था तो यह कहते हुए कि पार्टी छोड़ दी कि शिवसेना ओबीसी आरक्षण के खिलाफ है। उसके बाद उन्होंने अपने आपको बतौर ओबीसी नेता पेश किया, लेकिन जो उन्हें जानते हैं उनका कहना है कि उनके पार्टी छोड़ने की मुख्य वजह थी कि वे महसूस कर रहे थे कि उन्हें साइडलाइन कर दिया गया है। ( Express archive photo) -
1990 के विधानसभा चुनाव में जब सेना और भाजपा के गठबंधन ने 85 सीटें जीती थीं तो उन्होंने सोचा था कि उन्हें विपक्ष नेता बनाया जाएगा, लेकिन ठाकरे ने मनोहर जोशी को विपक्ष का नेता बना दिया। शिव सेना छोड़ने के बाद भुजबल कांग्रेस ज्वाइन कर ली। उन्होंने 10 दिन नागपुर में गुजारे थे, उन्हें डर था कि कहीं शिवसेना उन पर हमला न कर दे। (Express archive photo)
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शरद पवार ने जब कांग्रेस छोड़कर एनसीपी का गठन कर लिया, जब छगन उनके साथ जुड़ गए। उसी साल कांग्रेस-एसीपी गठबंधन की सरकार बनी और भुजबल को डिप्टी सीएम बनाया गया, इसके साथ ही उनके पास गृहमंत्रालय भी था। (Express archive photo)
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होम मिनिस्टर रहते हुए उन्होंने ऐसे कदम उठाए जिनके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता। उन्होंने बाल ठाकरे को गिरफ्तार करने की अनुमति दी। (Express archive photo by Neeraj Priyadarshi)
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बाल ठाकरे पर शिवसेना के मुखपत्र सामना में भड़काऊ लेख लिखने का आरोप था। गिरफ्तारी के कुछ घंटों बाद ही ठाकरे को जमानत पर रिहा कर दिया गया। लेकिन तब तक ठाकरे परिवार ने भुजबल के खिलाफ जंग शुरू कर दी थी। 15 साल बाद दोनों परिवारों में रिश्ते सही हुए। (Express archive photo)
बांद्रा में खड़ी मुंबई एजुकेशन ट्रस्ट की विशाल इमारत भुजबल की बिजनस साम्राज्य की गवाही देती है। इस ट्रस्ट की शुरुआत 19989 में की गई थी, जहां बिजनस मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग और फार्मेसी सहित कई कोर्स करवाए जाते हैं। यह ट्रस्ट नासिक में भुजबल नोलेज सिटी भी चलाता है, जिसके चार कॉलेज चलते हैं। कुछ साल बाद भुजबल ने नासिक और लोनावाला सहित कई अन्य जगह जमीन खरीद ली। भुजबल परिवार का घर नासिक स्थित भुजबल फार्म में है। इस घर को 2012-14 में दोबारा से तैयार किया गया था, जब भुजबल पीडब्ल्यूडी मंत्री थे। (Express archive photo ) -
नासिक जिला सहकारी बैंक के अधिकारियों का कहना है कि इस फर्म ने 11 करोड़ रुपए का लोन लिया था, जिसे चुकाया नहीं गया। बैंक के एक अधिकारी ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि लोन का एक सिंगल रुपया भी वापस नहीं किया गया। भुजबल के रसूख की वजह से उनके खिलाफ कोई एक शब्द भी नहीं बोलता। फर्म ने 20 करोड़ रुपए के लोन के लिए दोबारा से एप्लाई किया था, लेकिन बैंक पहले ही घाटे में चल रहा है, ऐसे में बैंक ने सीधे ही लोन के आवेदन को खारिज कर दिया। (Express archive photo)
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ईडी ने बांद्रा में हबीब महल और सांताक्रुज में ला पेटीट फ्लियूर के नाम से अटैच की हैं, जिनकी कीमत 250 करोड़ रुपए है। हबीब महल पंकज और समीर भुजबल की थी। दूसरी इमारत प्रवेश कंस्ट्रक्शन द्वारा बनाई गई थी। पंकज और समीर इस फर्म के 2007 से 2011 तक डायरेक्टर थे। ईडी अभी मालेगांव में गिरनार सुगरकेन मील्स को अटैच करने की योजना बना रही है, जो कि भुजबल परिवार की है।
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नासिक में 5 एकड़ में फैला भुजबल का फार्म हाउस।
