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पेशे से फोटोग्राफर गणेश टोस्टी ने भारतीय समाज में बलात्कार के मुद्दे को हाईलाइट करने के लिए एक फोटो-सीरीज बनाई है।इसकी कहानी तनिरिका नाम की एक लड़की पर आधारित है, जिसका कुछ लड़के बलात्कार करने की कोशिश करते हैं। उनमें से एक लड़का हमले को रोकता है। कहानी के अंत में, यह दिखाया जाता है कि किसी भी परिस्थिति में गलती लड़की की ही दी जाएगी, अपराध करने वालों की कोई गलती नहीं। यह फोटो-सीरीज भारतीय समाज का चेहरा दिखाने की कोशिश करती है जहां पीड़िता को जिम्मेदार ठहराना आम बात है। (Source: Facebook/Ganesh Toasty)
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कहानी शुरू होती है एक जंगल में। जहां तरिनिका बेहद खुश और जिंदादिल नजर आती है। (Source: Facebook/Ganesh Toasty)
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वह अपने पिता के साथ अनुभव बांट रही है। उनके साथ सुरक्षित महसूस करती है। (Source: Facebook/Ganesh Toasty)
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तरिनिका भी जंगल घूमना चाहती है, प्रकृति के नजारे देखना चाहतीे है। (Source: Facebook/Ganesh Toasty)
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मगर कुछ दूर पर चार व्यक्ति बैठे आपसे में बातचीत कर रहे हैं। (Source: Facebook/Ganesh Toasty)
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वे सब जंगल की ओर बढ़ चलते हैं। (Source: Facebook/Ganesh Toasty)
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जंगल में उन्होंने तरिनिका को देखा और आपस में मिलकर एक प्लान बनाया। (Source: Facebook/Ganesh Toasty)
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उन्होंने सोचा कि घना जंगल है और लड़की अकेली, क्यों न मौके का फायदा उठाया जाए। (Source: Facebook/Ganesh Toasty)
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उनमें से एक, जो कि उनका सरगना लगता है, तरिनिका का पल्लू खींचने की कोशिश करता है। (Source: Facebook/Ganesh Toasty)
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जल्द ही दो लोग तरिनिका को पकड़ लेते हैं। तरिनिका खुद को उनकी पकड़ से आजाद करने की नाकाम कोशिश करती है। (Source: Facebook/Ganesh Toasty)
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अब तक, इस व्यक्ति ने मन बना लिया है कि वह तरिनिका की इज्जत तार-तार करके रहेगा। (Source: Facebook/Ganesh Toasty)
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चारों लोग आपस में मशवरा करते हैं। विरोध करने पर तरिनिका को चेहरे पर घूंसा जड़ दिया जाता है। (Source: Facebook/Ganesh Toasty)
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तरिनिका का चेहरा खून से लथपथ हो जाता है। तब वे उसे घसीट कर वहां से ले जाने लगते हैं। (Source: Facebook/Ganesh Toasty)
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तरिनिका छटपटाती है, छोड़ देने की मनुहार करती है। (Source: Facebook/Ganesh Toasty)
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चार में से एक व्यक्ति की आंखें तरिनिका की आंखों से मिलती हैं और उसका दर्द बह निकलता है। (Source: Facebook/Ganesh Toasty)
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मदद की गुहार लगा रही तरिनिका की चीखें उस शख्स को झकझोर जाती हैं। (Source: Facebook/Ganesh Toasty)
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वह खड़ा होता है और अपने साथियों का प्रतिकार करता है। (Source: Facebook/Ganesh Toasty)
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वह तरिनिका की इज्जत बचाने को अपने साथियों से भिड़ जाता है। (Source: Facebook/Ganesh Toasty)
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दर्द से कराह रही तरिनिका अपनी आंखों से उस व्यक्ति को शुक्रिया अदा करती है। (Source: Facebook/Ganesh Toasty)
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वापस तरिनिका जब अपने पिता के पास पहुंचती है तो वह बेहद परेशान हो जाते हैं।
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“मैं जब भी आइने में देखती तो अजीब सा लगता। अगले कुछ दिनों तक, जब भी मैंने लॉन में कोई पत्थर देखा, मैंने उसे उठाया और पूरी ताकत से खुद से दूर फेंक दिया। एक दिन अप्पा ने मुझे ऐसा करते देखा और पूछा कि मैं ऐसा क्यों कर रही हूं। मेरे बताने में उन्होंने समझाया कि मेरा गिरना पत्थर की गलती नहीं थी। उन्होंने कहा कि पत्थर तो निर्जीव होते हैं, उन्हें प्रकृति जहां-तहां छोड़ देती है। उन्होंने इसे एक हादसा कहा और सलाह दी कि मैं किसी सजीव की तरह अगली बार सावधान रहूं ताकि दोबारा मैं न गिरूं। मुझे याद है कि मेरा पक्ष न लेने की वजह से मैं उनसे (अप्पा) गुस्सा हो गई थी। कुछ दिनों में दाग चला गया और जिंदगी आगे बढ़ गई।” (Source: Facebook/Ganesh Toasty)
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“वह याद मुझे किसी लहर की तरह धोकर चली गई जब मैं यहां चेहरे पर खून और दिल में दाग लिए बैठी हूं। क्या ये भी मेरी गलती है? क्या ये मेरी गलती है कि मैंने जंगल का रास्ता चुना और इन लोगों के सामने पड़ गई? क्या ये भी एक हादसा था? क्या इन लोगों में भी जान नहीं है? क्या मुझे बाहर निकलते वक्त और सावधान रहना चाहिए और मेरी आंखों को हर वक्त राक्षसों पर नजर रखनी चाहिए? और क्या अबसे मुझे सिर्फ घर पर रहना चाहिए क्योंकि जब इन राक्षसों में से कोई मेरे सामने आएगा तो मैं अपनी रक्षा नहीं कर पाऊंगी? और सबसे जरूरी, क्या ये जख्म गायब हो जाएगा? क्या मैं आगे बढ़ पाऊंगी?” (Source: Facebook/Ganesh Toasty)
