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पाकिस्तान के लिए बलूचिस्तान एक ऐसा जख्म बनता जा रहा है जो न सिर्फ हर वक्त टीस देता है, बल्कि उसकी सत्ता और संप्रभुता को भी चुनौती देता है। एक ओर जहां भारत से तनाव के हालात बने हुए हैं, वहीं दूसरी ओर बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने पाकिस्तान के भीतर ही जंग का ऐलान कर दिया है। (Photo: REUTERS)
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लगातार हमले, आजादी की मांग और पाक सेना के खिलाफ खुली बगावत ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि आखिर बलूचिस्तान पाकिस्तान से अलग क्यों होना चाहता है? (PTI Photo)
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बलूचिस्तान में क्यों भड़का विद्रोह?
बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, जो कुल क्षेत्रफल का 46% हिस्सा घेरता है, लेकिन यहां की आबादी महज 6% है। खनिज संसाधनों से भरपूर यह इलाका आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक रूप से लगातार उपेक्षित रहा है। यही उपेक्षा आज गुस्से में तब्दील हो चुकी है। (Photo: REUTERS) -
आर्थिक भेदभाव:
बलूचिस्तान के संसाधनों का दोहन तो किया गया, लेकिन स्थानीय लोगों को इसका कोई लाभ नहीं मिला। चीन के साथ मिलकर बन रहे CPEC प्रोजेक्ट का भी स्थानीय जनता ने विरोध किया, क्योंकि इससे न तो उन्हें रोजगार मिला और न ही विकास। (Photo: REUTERS) -
सामाजिक और राजनीतिक अलगाव:
बलूच लोगों को पाकिस्तानी सेना और प्रशासनिक ढांचे में कभी सम्मानजनक भागीदारी नहीं दी गई। गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी बलूचों की सबसे बड़ी समस्याएं बनी रहीं। 70% आबादी गरीबी रेखा से नीचे है और सेना में उनके लिए कोई उच्च पद नहीं है। (Photo: REUTERS) -
बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) की भूमिका
BLA बलूचिस्तान के आजादी की लड़ाई का सबसे बड़ा चेहरा बनकर उभरा है। इस संगठन ने हाल ही में पाकिस्तानी सेना पर कई बड़े हमले किए हैं। 4 जनवरी 2025 को 43 43 पाक सैनिक मारे गए, 1 फरवरी 2025 को 18 अर्धसैनिक बल के जवानों की मौत, 12 मार्च 2025 को ट्रेन हाइजैक और 200 सैनिकों की हत्या। (Photo: REUTERS) -
16 मार्च 2025 को बस पर हमला और 90 सैनिकों की मौत, 6 मई 2025 को 6 सैनिकों को मार डाला, वहीं 7 मई 2025 को बलूचिस्तान के बोलन जिले में IED से 12 सैनिक मारे गए। BLA की आक्रामकता से साफ है कि यह आंदोलन अब सिर्फ नारों तक सीमित नहीं, बल्कि एक संगठित सैन्य विद्रोह का रूप ले चुका है। (Photo: REUTERS)
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बलूचिस्तान पर कब्जे की कहानी
आजादी के वक्त बलूचिस्तान एक स्वतंत्र रियासत के तौर पर रहना चाहता था। 1947 में कलात राज्य ने पाकिस्तान में विलय से इनकार कर दिया था। परंतु 1948 में पाकिस्तानी सेना ने बलपूर्वक इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। तभी से बलूचों में अलगाव की भावना पनपती रही है, जो अब विस्फोटक रूप ले चुकी है। (ANI Photo) -
भारत से क्यों है उम्मीद?
बलूच नेताओं और आम नागरिकों ने कई बार भारत से समर्थन की अपील की है। 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बलूचिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन पर चिंता जताई थी। अब 2025 में फिर हालात बिगड़ चुके हैं। भारत से मदद मांगने वाले बलूच नेता मीर यार बलूच ने नई दिल्ली में बलूच दूतावास खोलने की मांग भी की है। (Photo: REUTERS) -
पाकिस्तान की दोहरी मुश्किल
भारत से जारी तनाव के बीच बलूचिस्तान में बढ़ते विद्रोह ने पाकिस्तान को दो मोर्चों पर लड़ाई में झोंक दिया है। एक ओर भारतीय वायुसेना के जवाबी हमले, दूसरी ओर BLA के कब्जे और हमले। ऐसे में पाकिस्तान के लिए तय करना मुश्किल हो गया है कि वह भारत से निपटे या बलूचिस्तान को बचाए। (Photo: REUTERS)
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