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किस्सा 90 के दशक में बिहार के सिवान का, कम वोट मिला तो खैर नहीं, दुकानों में सिर्फ एक ही पोस्टर

Bihar Siwan’s 90s Tale: बिहार में आज भले ही बड़े शांति से चुनाव हो गया है लेकिन एक दौर ऐसा था जब बूथ के बूथ लूट लिए जाते हैं। 90 के दशक की कहानी है जब राज्य के एक जिले में कोई पार्टी अपना ऑफिस नहीं खोल सकती है और न ही…

By: Vivek Yadav
Updated: November 14, 2025 07:54 IST
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  • Bihar party offices 1990s
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    बिहार की मिट्टी में खून, हवा में सत्ता और बंदूक की गूंज 90 के दशक में खूब गूंजती थी। बिहार में कई ऐसे माफिया हुए जिनके अपराध के बारे में लोग बात करने से कांपते हैं। 90 के दशक में बिहार के सबसे नामी माफियाओं में से एक शहाबुद्दीन भी थे जिनका नाम सुनते ही लोगों की रूप कांप उठती थी। (Photo: Indian Express) RJD, NDA, JDU के बड़े नेताओं के पास कौन-कौन सी है डिग्री, कितने पढ़े लिखे हैं

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    बीजेपी नेता और लेखक मृत्युंजय शर्मा ने अपनी ‘ब्रोकेन प्रोमिसेज : कास्ट, क्राइम एंड पॉलिटिक्स इन बिहार’ किताब में बिहार को लेकर कई सारी बातें बताई हैं। इसी साल उन्होंने लाइव हिंदुस्तान को एक इंटरव्यू दिया था जिसमें उन्होंने बिहार की राजनीति को लेकर कई सारे खुलासे किए। (Photo: Mrityunjay Sharma – BJP/FB)

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    मृत्युंजय शर्मा कहते हैं 90 के दशक में चुनाव और अब में काफी अंतर है। 90 के दशक में बूथ के बूथ लूट लिए जाते थे। 1990 से लेकर 2004 तक सिर्फ चुनाव के समय बिहार में करीब 650 लोग मारे गए। लेकिन आज चुनाव का समीकरण बदल गया है। (Photo: Indian Express)

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    इस दौरान उन्होंने बिहार के एक क्षेत्र को लेकर बताया कि यहां पर उस दौर में किसी भी पार्टी का ऑफिस नहीं खुल सकता था। इसके साथ ही लोग अपने घरों पर किसी भी पार्टी का झंडा तक नहीं लगा सकते थे। (Photo: Indian Express) बिहार चुनाव 2025: 48 एकड़ जमीन और करोड़ों की बिल्डिंग, भाजपा के सबसे रईस उम्मीदवार का इतना बड़ा है ऐंपायर

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    दरअसल, मृत्युंजय शर्मा ने बिहार के सिवान जिले के बारे में बात करते हुए बताया कि 90 के दशक में वहां पर किसी भी पार्टी का ऑफिस नहीं खुल सकता था। सिवान का कोई भी सदस्य किसी भी पार्टी का झंडा अपने घर पर नहीं लगा सकता था। (Photo: Indian Express)

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    सिवान शहाबुद्दीन का क्षेत्र था और 90 के दशक में खूब वर्चस्व रहा। बिहार की राजनीति में शहाबुद्दीन का खूब दबदबा रहा है। मृत्युंजय शर्मा बताते हैं कि 90 के दशक में सिवान के हर एक दुकान में शहाबुद्दीन के फोटो लगी होती थी। (Photo: Indian Express)

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    मृत्युंजय शर्मा बताते हैं कि चुनाव में जिस भी बूथ पर शहाबुद्दीन को कम वोट मिले तो उस बूथ में जिस व्यक्ति ने भी कम वोट लाने में रोल अदा किया उसकी खैर नहीं। आगे वह कहते हैं कि, 1996 के चुनाव के बाद एक मुखिया की हत्या कर दी गई क्योंकि, उनके क्षेत्र के बूथ में शहाबुद्दीन को कम वोट मिले थे। इसके बाद 2005 में बीजेपी के प्रत्याशी ओम प्रकाश यादव के घर पर चुनाव के बाद गोलियां चलाई गई थीं।  इसके बाद उन्हें सिक्योरिटी दी गई। (Photo: Indian Express)

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    मृत्युंजय शर्मा बताते हैं कि, शहाबुद्दीन के घर पर जब रेड पड़ी तो उनके घर से नाइट विजन चश्मे, लेजर गाइडेड गन निकले जिस पर पाकिस्तान ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के मार्क थे। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने भी शहाबुद्दीन को स्टेटमेंट दिया था कि आप ऐसी चीजें अपने घर में किस हक से रख सकते हैं जिसे पुलिस तक नहीं इस्तेमाल कर सकती है। बता दें कि, नाइट विजन चश्मे और लेजर गाइडेड गन सिर्फ भारतीय सेना इस्तेमाल कर सकती है। (Photo: Indian Express) चिराग पासवान से श्रेयसी सिंह तक, बिहार के इन पांच युवा नेताओं की राजनीति कभी नहीं था पहला प्यार

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