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भारतीय संस्कृति में कई ऐसे रीति रिवाज हैं जिन्हें निभाने की परंपरा काफी पुरानी है। इसी में से एक रिवाज है कपूर का तेल और लौंग जालना जिसे लोग सदियों से निभाते आ रहे हैं। इसे शाम के वक्त घरों में जलाया जाता है। (Photo: Meta AI) किसी शुभ काम से पहले नारियल क्यों तोड़ते हैं? जानें क्या है महत्व
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कपूर तेल और लौंग का एक साथ जलाया जाना न सिर्फ सुगंध बल्कि अध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्व रखता है। आइए जानते हैं सदियों से क्यों निभाई जा रही है यह परंपरा? (Photo: Pinterest)
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प्राकृतिक एयर प्यूरीफायर
कपूर का तेल और लौंग प्राकृतिक एयर प्यूरीफायर की तरह काम करते हैं। जब दोनों को एक साथ जलाया जाता है तो इसके इसका तेल तीखा सुगंध छोड़ता है जो प्राकृतिक कीटाणुनाशक का काम करते हैं। दोनों में एंटीमाइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं। (Photo: Meta AI) -
शाम को क्यों जलाते हैं
शाम को इसे जलाने से हवा को शुद्ध होती है, कीटाणु कम होते हैं और कीड़े-मकोड़ों दूर भगाते हैं। दरअसल, पुराने समय में जब केमिकल स्प्रे नहीं हुआ करता था तब लोग घरों की हवा को ताजा और शुद्ध करने के लिए यह उपाय किया करते थे जिसे आज भी कई घरों में निभाया जाता है। (Photo: Meta AI) -
मानसिक शांति
शाम के समय लौंग के साथ कपूर जलाना सिर्फ सुगंध के लिए नहीं है बल्कि यह स्वास्थ्य और आत्मा दोनों के लिए फायदेमंद है। इससे घर का वातावरण शुद्ध रहता है और साथ ही मानसिक शांति भी मिलती है। (Photo: Freepik) स्वाहा क्यों बोला जाता है? क्या इसके बिना अधूरी होती है पूजा, जानें क्या है महत्व -
ऊर्जा बदलने का तरीका
शाम को आमतौर पर दिन की ऊर्जा को बदलकर रात की ऊर्जा लाने का समय माना जाता है। ऐसे में इस वक्त कपूर और लौंग जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। इसलिए पूजा के दौरान भी इसे एक साथ जलाया जाता है। (Photo: Meta AI) -
मन और शरीर के लिए लाभ
लौंग और कपूर दोनों स्वास्थ्य से जुड़े हुए हैं। जहां लौंग श्वसन तंत्र के लिए फायदेमंद बताई जाती है तो वहीं कपूर से मानसिक स्पष्टता और ताजगी मिलती है। इन्हें साथ में जलाने से तनाव कम करता है, हल्का सिर दर्द दूर कर सकता है और मन व शरीर को आराम भी मिल सकता है। साथ ही नींद की भी गुणवत्ता में इसे काफी असरकारी बताया गया है। (Photo: Meta AI) -
जलाने का सही समय और तरीका
कपूर का तेल और लौंग को जलाने का सबसे उत्तम समय शाम का होता है। खासकर प्रार्थना करने के बाद या सूर्यास्त के समय एक छोटा कपूर का टुकड़ा लेकर उसमें 1-2 लौंग किसी खुली धातु या मिट्टी की कटोरी में जलाना चाहिए। (Photo: Pinterest) बिना कपूर के पूजा अधूरी, उपासना और अध्यात्म के लिए क्यों है जरूरी