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हिंदू धर्म नवरात्रि के त्योहार का बेहद ही खास महत्व है। पूरे देश में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। हर साल लाखों भक्त माता दुर्गा की आराधना के लिए 9 दिन का व्रत भी रखते हैं। इस दौरान फल, दूध और व्रत में वाले खाने वाले भोजन खाए जाते हैं। (Photo: Freepik) कैसे बनता है साबूदाना? खाने से शरीर को कौन-कौन से फायदे मिलते हैं
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उपवास को आध्यात्मिक रूप से अनुशासन और भक्ति का बड़ा प्रतीक माना जाता है, लेकिन विज्ञान इस पर क्या कहता है? आइए जानते हैं: (Photo: Pexels)
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पहला चरण (1–3 दिन)
शुरुआती चरण तीन दिन का होता है जिसमें ज्यादातर लोग फल, दूध और हल्के व्रत वाले भोजन से आराम से गुजर जाते हैं। लेकिन इस दौरान अगर कोई सिर्फ पानी पीकर व्रत करे, तो शरीर का जमा हुआ शुगर (ग्लाइकोजन) 24 घंटे में खत्म हो जाता है। इसके बाद शरीर ऊर्जा के लिए फैट जलाना शुरू करता है और कीटोन बनाता है। (Photo: Pexels) -
तीसरे दिन तक आते-आते, शरीर पूरी तरह से नए मोड में शिफ्ट हो जाता है। साल 2024 में Nature Metabolism का एक शोध आया था जिसमें बताया गया था कि, सिर्फ तीन दिन का व्रत शरीर के हजारों प्रोटीन और एंजाइम में बदलाव लाता है, जिससे दिमाग, लिवर और मांसपेशियों तक पर असर पड़ता है। आध्यात्मिक रूप से इसे डिटॉक्स फेज कहा जाता है, लेकिन वैज्ञानिक भाषा में यह शरीर की सर्वाइवल प्रणाली सक्रिय हो जाती है। (Photo: Freepik) बढ़ती उम्र के प्रोसेस को धीमा करते हैं यह 6 फूड्स, लंबे समय तक रखते हैं निरोगी
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दूसरा चरण (4–6 दिन)
नवरात्रि उपवास का दूसरा चरण 4-6 दिन का होता है जिसमें शरीर का मुख्य ईंधन कीटोन बन जाते हैं। इस दौरान हार्मोनल बदलाव शुरू होने लगते हैं। इंसुलिन, लेप्टिन और IGF-1 (एक तरह का हार्मोन) कम हो जाते हैं, जबकि कॉर्टिसोल (स्ट्रेस हार्मोन) बढ़ जाता है। कई शोध में बताया गया कि 7 दिन के पानी वाले व्रत में मांसपेशियों की ताकत तो बनी रहती है, लेकिन सहनशक्ति 15–16% तक घट जाती है। (Photo: Freepik) -
उपवास के दूसरे चरण के दौरान फल और दूध पर टिके रहने वाले लोगों को थोड़ी कमजोरी महसूस हो सकती है लेकिन काम कार पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन जो लोग सिर्फ पानी पीकर व्रत रखते हैं उन्हें चक्कर, कमजोरी और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन का खतरा बढ़ जाता है। (Photo: Freepik)
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तीसरा चरण (7–9 दिन)
नवरात्रि का आखिरी चरण आध्यात्मिक रूप से सबसे गहरा माना जाता है। लेकिन यह शारीरिक रूप से खतरनाक भी हो सकता है। 8–10 दिन के उपवास पर हुए शोध बताते हैं कि इस दौरान ग्रोथ हार्मोन बहुत घट जाते हैं, कॉर्टिसोल और ज्यादा बढ़ जाता है और शरीर मांसपेशियों व अंगों के प्रोटीन को तोड़ना शुरू कर देता है। जिसके चलते कई सारी समस्याएं हो सकती है। ऐसे में व्रत के दौरान सही नियम और भोजन का पालन करना बेहद जरूरी है। (Photo: Pexels) व्रत में खूब खाते हैं साबूदाना तो जरा संभल कर, इन लोगों को नहीं खाना चाहिए -
9 दिन बार हो सकती हैं यह समस्याएं
नवरात्रि के 9 दिन बाद इलेक्ट्रोलाइट असंतुलित हो सकता है जिससे दिल पर असर हो सकता है। साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगता है। इसके अलावा लो ब्लड प्रेशर और बेहोशी का भी खतरा रहता है। वहीं, व्रत के बाद भारी भोजन करने पर शरीर को रीफीडिंग सिंड्रोम का खतरा। (Photo: Freepik) -
नवरात्रि व्रत के फायदे
अगर उपवास के दौरान फल, दूध, मेवे और हल्के भोजन का सेवन करते हैं तो यह सेहत को कई सारे लाभ भी पहुंचाता है। पाचन को आराम मिलता है, वजन नियंत्रण में रहता है, ब्लड शुगर को स्थिर रहता है। इसके साथ ही मानसिक स्पष्टता और मन शांत रहता है और आध्यात्मिक साधना के साथ शरीर को ऊर्जा भी देता है। (Photo: Pexels) -
पानी वाले कठिन 9 दिन के व्रत के नुकसान
सिर्फ पानी पीकर उपवास रखने से गंभीर पोषण की कमी, मांसपेशियों और अंगों का क्षय, दिल की धड़कन असामान्य होना, व्रत के बाद भारी भोजन खाने पर जानलेवा खतरा हो सकता है। (Photo: Pexels) -
उपवास का सही तरीका
विज्ञान के अनुसार छोटे उपवास शीर के मेटाबॉलिज्म और सेल रिपेयर के लिए फायदेमंद होते हैं। लेकिन लगातार 9 दिन तक बिना भोजन के व्रत करना खतरनाक हो सकता है। सबसे बेहतर तरीका फल, दूध, मेवे और हल्का व्रत आहार अपनाना है। (Photo: Pexels) लौकी के नुकसान, किन लोगों को नहीं खानी चाहिए?