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उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh assembly elections) वैसे भी हमेशा से दिलचस्प रहा है,लेकिन साल 2017 में हुए चुनाव में सबकी नजरें अमेठी (Amethi) की हलचल पर ही गड़ी थी। अमेठी सीट के लिए दो राजनैतिक दलों ने अमेठी राजघराने की लड़ाई को सड़क पर ला दिया था। ये चुनावी संग्राम अघोषित रूप से यह तय करने वाला था कि अमेठी की जनता किसे रानी मानती हैं। रानी गरिमा सिंह (Garima Singh) और पटरानी अमिता सिंह (Amita Singh) के बीच के कलह को भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) ने भुनाने का प्रयास किया था।
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यह पहला मौका है कि जब एक राजा की दो रानियां राजमहल और राजनीतिक विरासत के लिए चुनाव मैदान में उतरी थीं और एक-दूसरे को चुनौती दे रही थीं।
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अमेठी के राजा संजय सिंह (Raja Sanjay Singh) की पहली पत्नी गरिमा सिंह को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया था तो कांग्रेस ने राजा की दूसरी पत्नी अमिता सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित किया था।
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गरिमा सिंह ने पर्चा दाखिल करते समय जो हलफनामा भरा है उसमें उन्होंने संजय सिंह को अपना पति बताया था, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने संजय सिंह और गरिमा के तलाक को खारिज कर दिया था।
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शपथ पत्र में उन्होंने अपनी संपत्ति का जो ब्योरा दिया उसमें अपने साथ संजय सिंह की संपत्ति का भी जिक्र किया था। हलफनामे के मुताबिक गरिमा सिंह के पास पचास हजार कैश था और उनके पति के पास सत्तर हजार कैश था।
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गरिमा सिंह ने अपनी अचल संपत्ति करीब तीन करोड़ रुपये और पति की अचल संपत्ति साढ़े 15 करोड़ रुपये लिखवाई थी। हलफनामे के मुताबिक गरिमा सिंह के पास एक बंदूक और संजय सिंह के पास तीन हथियार हैं।
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बता दें कि विधानसभा चुनाव में संजय सिंह की दूरी पत्नी की अमिता चुनाव हार गई थीं और उसके बाद उनके पति संजय सिंह के साथ उन्होंने भी भाजपा का दामन थाम लिया।
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अमिता और गरिमा अब एक ही दल के में शमिल हैं। ऐसे में 2022 का चुनाव एक बार फिर देखने वाला होगा क्योंकि रानी और पटरानी अब एक ही दल में शामिल हैं।
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Photos: PTI and Social Media
