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अक्सर माता-पिता यह सोचकर बच्चों पर चिल्ला देते हैं कि इससे वे जल्दी समझेंगे या अनुशासित हो जाएंगे। लेकिन आधुनिक न्यूरोसाइंस और मनोविज्ञान इससे बिल्कुल अलग तस्वीर पेश करता है। विज्ञान साफ कहता है कि बच्चों पर चिल्लाने से अनुशासन नहीं, बल्कि डर पैदा होता है, और यह डर उनके दिमागी विकास पर गहरा असर डालता है। (Photo Source: Pexels)
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बच्चों का दिमाग प्यार नहीं, खतरा सुनता है
जब माता-पिता बच्चे पर जोर से चिल्लाते हैं, तो बच्चे का मस्तिष्क इसे ‘खतरे’ के रूप में दर्ज करता है, न कि सुधार के रूप में। उस समय बच्चा यह नहीं समझ पाता कि वह क्या गलती कर रहा है, बल्कि केवल यह महसूस करता है कि वह सुरक्षित नहीं है। (Photo Source: Pexels) -
कोर्टिसोल बढ़ाता है तनाव
चिल्लाने से बच्चों के शरीर में कोर्टिसोल नामक तनाव हार्मोन बढ़ जाता है। न्यूरोसाइंस स्टडीज के अनुसार, बार-बार कोर्टिसोल का बढ़ना बच्चों में सीखने की क्षमता कम करता है, याददाश्त को कमजोर करता है, भावनात्मक संतुलन बिगाड़ता है, और माता-पिता पर भरोसे को नुकसान पहुंचाता है। (Photo Source: Pexels) -
लॉन्ग टर्म स्ट्रेस का कारण बनता है
आधुनिक शोध बताते हैं कि लगातार डांट और चिल्लाहट बच्चों के मस्तिष्क में क्रॉनिक स्ट्रेस (लॉन्ग टर्म स्ट्रेस) पैदा कर देती है। इसका असर आगे चलकर बच्चों के आत्मविश्वास, निर्णय लेने की क्षमता और रिश्तों पर भी पड़ सकता है। (Photo Source: Pexels) -
अनुशासन का मतलब नियंत्रण नहीं, जुड़ाव है
बच्चों को अनुशासित करने का अर्थ यह नहीं कि उन पर अपना नियंत्रण थोप दिया जाए। असल अनुशासन वह है जिसमें बच्चे को यह एहसास हो कि गलती होने पर भी वह अपने माता-पिता के लिए सुरक्षित और स्वीकार्य है। भावनात्मक जुड़ाव के बिना दिया गया अनुशासन केवल डर पैदा करता है, सुधार नहीं। (Photo Source: Pexels) -
अच्छे माता-पिता कौन होते हैं?
सबसे प्रभावी माता-पिता वे नहीं होते जो सबसे ज्यादा डांटते हैं, बल्कि वे होते हैं जो बच्चे की गलती को समझाते हैं, उसके व्यवहार को सुधारते हैं, और उसे भावनात्मक रूप से कुचलते नहीं। ऐसे माता-पिता बच्चों को यह सिखाते हैं कि गलती करना गलत नहीं है, लेकिन उसे सुधारना जरूरी है। (Photo Source: Pexels) -
पुरानी आदत छोड़ें, नया संवाद सीखें
चीखना-चिल्लाना पेरेंटिंग की एक पुरानी और नुकसानदेह आदत है, जिसे अब छोड़ने का समय आ गया है। इसकी जगह हमें संवाद, धैर्य और सहानुभूति को अपनाना होगा। शांत स्वर में कही गई बात बच्चे के दिमाग में ज्यादा गहराई से उतरती है। (Photo Source: Pexels) -
विश्वास आधारित अनुशासन ही मजबूत नींव
विश्वास और कनेक्शन पर आधारित अनुशासन ही बच्चे के मस्तिष्क के स्वस्थ विकास की असली नींव रखता है। जब बच्चा अपने माता-पिता से जुड़ा महसूस करता है, तो वह डर से नहीं, समझ से सही रास्ता चुनता है। (Photo Source: Pexels)
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