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मायावती भले ही पिछले कुछ सालों से सत्ता में नहीं हैं, लेकिन यूपी चुनाव नजदीक आते ही वह सक्रिय हो गई हैं। ब्राह्मण सम्मेलन से यूपी चुनाव का शंखनाद करने वाली मायावती हमेशा ही चर्चा में किसी न किसी कारण से रहती हैं।
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राजनीति में आने से पहले मायावती को अपने घर में विरोध का सामना करना पड़ा था। उनके पिता ने 1984 में बीएसपी बनने पर मायावती को चेतावनी दी थी कि यदि वह कांशीराम का साथ नहीं छोड़ेंगी तो परिवार से अलग होना होगा।
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मायावती टीचर की नौकरी छोड़कर बहुजन समाज के उद्धार करने के लिए राजनीति में आई थीं।
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मायावती के नाम पहला रिकार्ड है, यूपी में सबसे ज्यादा चार बार मुख्यमंत्री बनने का।
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दूसरा रिकार्ड, विधानसभा के इतिहास में पूरे कार्यकाल तक सीएम रहने का बनाया है।
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मायावती के नाम तीसरा रिकार्ड है देश की पहली दलित महिला मुख्यमंत्री बनने का।
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बता दें कि कांशीराम ने मायावती को अपना उत्तराधिकारी बनाया था और यह पहला मौका है जब किसी पार्टी की जिम्मेदारी वंशवाद के आधार पर नहीं मिली।
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Photos: Social Media