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मुलायम सिंह यादव यूपी और लालू बिहार के एक से ज्यादा बार सीमए रह चुके हैं। दोनों ही नेताओं का राजनीति में आने का तरीका और राजनीतिक विचारधारा भी लगभग एक रही है। तो चलिए जानें कि इन दो दिग्गज नेताओं में क्या-क्या चीजें समान रही हैं।
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लालू और मुलायम अपने परिवार के पहले सदस्य रहे हैं जो राजनैतिक जीवन में कदम रखे थे। इसे भी पढ़ें- 5 बार पार्टी बदले थे मुलायम सिंह यादव, सपा नहीं, बल्कि इस दल से बने थे पहली बार यूपी के सीएम
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लालू पटना पटना यूनिवर्सिटी में साल 1973 में छात्र संघ चुनाव जीतकर अध्यक्ष बने थे। वहीं, मुलायम इटावा के केके कॉलेज में स्टूडेंट यूनियन हुआ करते थे। इसे भी पढ़ें- मुलायम सिंह यादव के खिलाफ तीन विधानसभा से जब उतरे थे तीन और मुलायम, नाम से उलझाने की थी राजनीति
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छात्र राजनीति के दौरान ही वह राम मनोहर लोहिया के संपर्क में आए और मुख्यधारा की राजनीति करने लगे। वहीं, लालू जेपी आंदोलन से जुड़े और राजनैतिक जीवन में आ गए। इसे भी पढ़ें- ‘मुलायम तो बुढ़ा गए हैं, इसलिए हम खड़े हैं साथ’, जब लालू प्रसाद ने अखिलेश यादव का पक्ष लेकर कहा था कुछ ऐसा
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मुलायम और लालू दोनों ही छात्र नेता से सीमए की कुर्सी तक पहुंचे हैं। इसे भी पढ़ें- ‘ये मुख्यमंत्री तो लोगों के बच्चे गिनने में लगे हैं’, जब लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार विधानसभा में गए थे भिड़
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मुलायम अपने बेटे अखिलेश, भाई राम गोपाल, शिवपाल यादव समेत परिवार के कई लोगों को राजनीति में ले आए। लालू भी अपनी पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा भारती, बेटे तेज प्रताप और तेजस्वी प्रताप समेत परिवार के अन्य लोगों को राजनीति में ला चुके हैं।
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मुलायम ने अपने बेटे अखिलेश यादव को जहां अपनी सीमए की कुर्सी सौंपी, वहीं लालू ने भी अपने बेटे को उप मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा दिया है।
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मुलायम और लालू अब अपने बेटों को राजनीति की मुख्यधारा से जोड़कर पीछे से लगाम थामा है। Photos: PTI