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ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के दादा जीवाजीराव (Jivajirao Scindia) ग्वालियर राजघराने के आखिरी राजा थे। राजमाता विजयाराजे सिंधिया (Rajmata Vijayaraje Scindia) ने पति की मौत के बाद राजघराने की विरासत का संभाला था। माधवराव सिंधिया (Madhavrao Scindia) के साथ शुरुआत में राजमाता के संबंध दोस्ताना थे, लेकिन धीरे-धीरे इस संबंध में राजनैतिक कारणों से दूरियां आने लगीं। एक समय मां और बेटे में विवाद इतना गहरा हो गया था कि ये बात महल से बाहर सड़कों तक आ गई थी। खास कर तब विवाद जब ज्यादा बढ़ गया जब महल से पुश्तैनी शिवलिंग लेकर चली गई माधवराव की पत्नी माधवी से नाराज होकर राजामाता ने आमरण अनशन कर दिया था।
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राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई की एक किताब प्रकाशित हुई है ‘द हाउस ऑफ़ सिंधियाज- ए सागा ऑफ़ पावर, पॉलिटिक्स एंड इन्ट्रीग’ जिसमें उन्होंने सिंधिया परिवार के आपसी संबंधों पर काफी कुछ लिखा है। इसे भी पढ़ें- ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव से डरकर जब अहमद पटेल क्रिकेट में सेंचुरी नहीं बना सके थे
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इंडिया टुडे के 30 सिंतबर 1991 के अंक में लेख ‘डॉमेस्टिक बैटल बिटवीन विजयराजे एंड माधवराव सिंधिया’ में बताया है कि माधवराव सिंधिया ने उन्हें बताया था कि उनके और राजमाता के संबंध 1972 से ख़राब होना तब शुरू हुए थे, जब वह राजमाता की पार्टी जनसंघ छोड़कर कांग्रेस जाना चाहते थे, क्योंकि जनसंघ मध्य प्रदेश में 1972 का विधानसभा चुनाव हार गई थी।
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इंडिया टुडे के संवाददाता एनके सिंह ने अपनी किताब में लिखा है कि राजमाता माधवराव से रिश्तों में दरार लाने के लिए उनकी पत्नी माधवीराजे को ज़िम्मेदार मानती थीं।इसे भी पढ़ें-ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया अपनी मां ही नहीं, दिग्विजय सिंह की भी इस आदत से खाते थे खौफ
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रशीद क़िदवई ने लिखा है कि सिंधिया परिवार का पन्ने का पुश्तैनी शिवलिंग था। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार हर महाराजा द्वारा की गई पूजा में इस शिवलिंग को रखा जाता था। मान्यता था कि जब ग्वालियर की सेना किसी सैनिक अभियान पर निकलती थी तो महादजी सिंधिया (सिंधिया राजवंश शुरू करने वाले रानोजी राव सिंधिया के पांचवे और सबसे छोटे बेटे) उसे हमेशा अपने मुकुट के नीचे रखते थे जिसकी वजह से उन्हें लड़ाई में विजय प्राप्त होती थी।
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सिंधिया परिवार के लिए वो हमेशा अच्छे भाग्य की निशानी माना गया था ये शिवलिंग, लेकिन जब राजमाता और माधवराव के बीच दरार पड़ गई तो राजमाता ने वो शिवलिंग उनसे वापस मांगा।
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माधवराव की पत्नी माधवी ने तब राजमाता से कह दिया था कि राजघराने की रस्मी पूजा तभी शुभ मानी जाती है जब उसे एक विवाहित महिला करे।
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इस बात से राजमाता बहुत आहत हो गई थीं कि उन्होंने ऐलान किया कि वो जब तक आमरण अनशन करेंगी जब तक वो शिवलिंग उनके हवाले नहीं कर दिया जाता।
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राजमाता के इस आमरण अनशन को देखते हुए माधवराव ने वह शिवलिंग उनके हवाले कर दिया था। Photos: Social Media
