-
माधवराव सिंधिया (Madhavrao Scindia), सिंधियाराज घराने से आते थे और दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) की राघौगढ़ रियासत से। राघौगढ़ एक समय सिंधिया के ग्वालियर रियासत का हिस्सा था। राजघरानों की अदावत वहीं से शुरू हुई थी। माधवराव और दिग्विजय की तकरान तब और बढ़ गई जब 1993 में पहली बार एमपी के सीएम दिग्विजय गए, क्योंकि इस दौड़ में माधवराव भी शामिल थे। माधवराव ने दिग्विजय के सीएम बनने का खुलकर विरोध किया था। बावजूद इसके दिग्विजय ने कभी माधवराव के लिए कुछ नहीं कहा, लेकिन माधव राव को अपनी मां राजमाता विजयाराजे सिंधिया ( Rajmata Vijayaraje Scindia) की तरह ही दिग्विजय की एक आदत का पता था और वह इसी आदत से घबराते थे।
-
राजनीति में माधवराव के विरले ही दुश्मन थे, लेकिन जब तक वह जिंदा रहे अपनी मां और दिग्विजय सिंह की एक खास तरह की आदत से परेशान थे। यह बात खुद दिग्विजय सिंह ने एक इंटरव्यू में बताई थी।
-
माधवराव का मां विजयाराजे से मतभेज का कारण संपत्ति विवाद था। राजमाता ने अपनी वसीयत में बेटे को कोई जगह नहीं दी थी। उन्होंने सारी संपत्ति अपनी बेटियों और ट्रस्ट के नाम कर दी थी। राजमाता और माधवराव का विवाद अदातलत तक भी गया था।
-
माधवराव की रिायासत के छोटे से राजपरिवार के दिग्विजय सिंह को एमपी का सीमए बनाया जाना स्वीकार्य नहीं था। यह बात दिग्विजय भी जानते, लेकिन वह अपनी विनम्रता से कभी माधवराव को यह महसूस नहीं कराते थे।
-
दिग्विजय ने इंटरव्यू में बताया था कि एक बार माधवराव सिंधिया संसद भवन की सीढ़ियों पर बैठकर राजीव शुक्ला बाते कर रहे थे। तभी वह वहां पहुंचे और माधव राव से पूछा कि आप यहां सीढ़यों पर क्या कर रहे तो माधवराव ने कहा कि वह बस ऐसे ही गपशप कर रहे हैं।
-
दिग्विजय ने बताया था कि वह माधवराव से पूछा कि वह ग्वालियर जा रहे हैं। साथ ही यह भी कहा कि उन्हें ग्वालियर का कोई काम हो तो उन्हें बता दें।
-
दिग्विजय का कहना था कि ये बात सुनते ही माधवराव ने उनसे कहा था कि वह अपनी मां और उनसे बेहद खौफ खाते हैं।
-
दिग्विजय ने बताया कि माधवराव ने उनसे कहा था कि दो लोग हैं जिनकी विनम्रता उनकी जान ले लेती है। दिग्विजय ने दोनों का जब नाम पूछा तो माधवराव ने कहा कि एक वो और दूसरी उनकी मां।
-
बता दें कि माधवराव के बाद उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया भी हमेशा दिग्विजय से दूरी बनाए रखें और उनकी अदावत जारी रही। Photo; Social Media
