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श्रीदेवी के दीवाने इंडिया ही नहीं, पाकिस्तान में भी बहुत रहे हैं, लेकिन एक समय इन दीवानों के सबसे बड़े दुश्मन बन गए थे पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल ज़िया-उल-हक़। क्योंकि उनके तानाशाही शासन में भारतीय फिल्में देखना जुर्म बन गया था और जो भी फिल्में देखते पकड़ा जाता था उसे तीन से छह माह की जेल होती थी। उस समय श्रीदेवी को देखने के लिए पाकिस्तानी युवा कई जतन किया करते थे।
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बीबीसी के पाकिस्तान के पूर्व संवाददाता रहे वुसअतुल्लाह ख़ान ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि जब वह कराची यूनिवर्सिटी में दाखिल हुए थे तब उन्हें एक साल बाद यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में कमरा मिला था।
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वुसअतुल्लाह ने बताया था कि वह अपने कमरे में श्रीदेवी के दो पोस्टर चिपकाए थे और उनके अनुसार ये तब की बात थी जब भारतीय फिल्में पाकिस्तान में देखना ग़ैरक़ानूनी था और पकड़े जाने पर तीन से छह महीने की सज़ा थी।
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वुसअतुल्लाह का कहना था कि लड़के कहां मानने वाले थे, पैसे जोड़ जाड़कर वीसीआर किराये पर लाते थे और एक साथ छह फिल्में चला करती थीं। इसमें से श्रीदेवी की कम से कम तीन फिल्में तो जरूर होती थीं।
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वुसअतुल्लाह ने बताया था कि यह वहीं दौर था जब श्रीदेवी की चांदनी से लेकर नगीना, आखिरी रास्ता, हिम्मतवाला, मिस्टर इंडिया जैसी तमाम हिट फिल्में रिलीज हो रही थीं।
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फिल्में देखना उन दिनों भले ही बैन था लेकिन लड़के अपने हॉस्टल के हॉल में सब दरवाज़े खिड़कियां खोलकर फुल वॉल्यूम में फिल्में देखते थे, ताकि हॉस्टल के बाहर बनी पुलिस चौकी तक भी आवाज़ पहुंच जाए।
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वुसअतुल्लाह का कहना था कि ऐसा करना एक तरह से जनरल ज़िया-उल-हक़ की तानाशाही के ख़िलाफ़ प्रतिरोध था।
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पाकिस्तानी लड़के उन दिनों यही सोचा करते थे कि अगर श्रीदेवी न होती तो जनरल ज़िया-उल-हक़ की 10 साल पर फैली घुप्प तानाशाही वह कैसे काट पाते।
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Photos: Social Media
