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बच्चों पर ध्यान देना बहुत जरूरी होता है। बच्चों को माता-पिता की छोटी-छोटी चीजें प्रभावित करती हैं। कई बार बच्चे भी तनाव में होते हैं जिसका असर उनकी पढ़ाई और ग्रोथ पर भी पड़ता है। (Photo: Unsplash) बच्चे का नहीं लगता पढ़ने में मन, इन पांच तरीकों से बढ़ा सकते हैं फोकस
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छोटे बच्चे अपनी तकलीफें खुलकर नहीं कह पाते हैं। ऐसे में माता पिता को अपने बच्चे पर खास ध्यान देने की जरूरत पड़ती है। उनकी छोटी-छोटी आदतों और संकेतों पर ध्यान देने से पता चल सकता है कि बच्चा स्ट्रेस में है या नहीं? (Photo: Pexels)
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कैसे स्ट्रेस का शिकार हो जाते हैं बच्चे?
आज कल सोशल मीडिया का जमाना है ऐसे में कुछ चीजें बच्चे के तनाव का कारण बन सकती हैं। इसके साथ ही अधिक पढ़ाई के दबाव के चलते भी बच्चे तनाव में आ सकते हैं। साथ ही दोस्तों के बीच किसी प्रतिस्पर्धा को लेकर भी तनाव में रह सकते हैं। वहीं, कई बार अधिक डांट भी इनके तनाव का कारण बन सकता है। (Photo: Pexels) -
1- थकान और सिरदर्द
अगर बच्चे को सिरदर्द, थकान और पेट दर्द जैसी शिकायतें बार-बार हो रही हैं और डॉक्टर को दिखाने के बाद भी वजह पता नहीं चल रहा है तो वह तनाव इसका कारण हो सकता है। (Photo: Pexels) बच्चे को बनाना है टॉपर? उनकी डाइट में जरूर शामिल करें ये 7 मेमोरी बूस्टर फूड्स -
2- डरना और रोना
कई बार बच्चे छोटी सी बात पर रोने लगते हैं। यहां तक की छोटी सी गलती पर वह काफी डर जाते हैं जो तनाव की निशानी है। (Photo: Pexels) -
3- पसंदीदा चीजों में मन न लगना
अगर बच्चे का अपनी पसंदीदा चीजों में मन नहीं लग रहा है या फिर पढ़ाई और खेलकूद में दिलचस्पी कम दिख रही तो समझ जाएं कि वह किसी परेशानी में है। (Photo: Freepik) -
4- व्यवहार
अगर आपका बच्चा अचानक बिना बात पर चिड़चिड़ा हो जाए और चुप रहने लगे तो यह तनाव के संकेत हो सकते हैं। (Photo: Pexels) चाणक्य नीति से जानें सही पेरेंटिंग टिप्स, ऐसे माता-पिता बच्चों के शत्रु समान होते हैं -
5- नींद और भोजन
जब बच्चे तनाव में रहते हैं तो कुछ आदतें उनमें देखने को मिल सकती है। अधिक सोना या कम सोना और खाने की आदत में बदलाव भी तनाव के संकेत हो सकते हैं। (Photo: Pexels) -
माता-पिता को क्या करना चाहिए?
अगर बच्चों से प्यार से बात करें और गलती पर डांटने के बजाय समझाएं तो वह धीरे-धीरे तनाव से उबर सकता है। इसके साथ ही सबसे जरूरी है उसकी बातों को सुनना। साथ ही उसके दोस्तों और अध्यापकों से फीडबैक भी ले सकते हैं। वहीं, जरूरत पड़ने पर काउंसलर की मदद लेने से जरा भी न हिचकिचाएं। (Photo: Freepik) क्यों जरूरी है बच्चों में एक्टिव लिसनिंग का स्किल डेवलप करना? ये आसान तरीके बनाएंगे एक्टिव लिसनर
