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चाणक्य नीति के एक प्रसिद्ध श्लोक के माध्यम से यह सिखाया गया है कि किसी व्यक्ति के गुस्से या नाराजगी से कैसे फर्क नहीं पड़ता। इस श्लोक में कहा गया है:
“यस्मिन् रुष्टे भयं नास्ति तुष्टे नैव धनागमः।
निग्रहो नुर्गहो नास्ति स रुष्ट: किं करिष्यति।।” (Photo Source: Jansatta) -
इसका अर्थ है कि अगर किसी व्यक्ति के नाराज होने पर न तो आपको डर लगता है, न ही धन प्राप्ति की उम्मीद होती है, न वह दंड दे सकता है और न ही दया दिखा सकता है, तो उसकी नाराजगी का कोई महत्व नहीं होता। (Photo created by Bing AI Image Creator)
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चाणक्य के अनुसार, ऐसे व्यक्ति के गुस्से से प्रभावित होने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि इससे आपके जीवन पर कोई असर नहीं पड़ता। (Photo Source: Jansatta)
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चाणक्य के इस श्लोक का मुख्य संदेश यह है कि हमें उन लोगों के नाराजगी से परेशान नहीं होना चाहिए, जिनकी हमारी जिंदगी में कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं है। (Photo created by Bing AI Image Creator)
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ऐसे व्यक्ति से न तो आपका डर बढ़ता है और न ही आपकी आमदनी प्रभावित होती है। न ही वह आपको दंड दे सकता है और न ही आपकी स्थिति में कोई बदलाव ला सकता है। (Photo created by Bing AI Image Creator)
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इसलिए, यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति की नाराजगी से परेशान हैं, जो आपकी जीवनशैली या मानसिक स्थिति पर कोई फर्क नहीं डालता, तो उस परेशानी को नजरअंदाज करें। (Photo Source: Jansatta)
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ऐसे लोगों की नाराजगी आपके जीवन की दिशा को नहीं बदल सकती और न ही आपकी खुशहाली को प्रभावित कर सकती है। आखिरकार, जीवन में सच्ची शांति और खुशी उन लोगों के साथ रहकर मिलती है जो आपकी उन्नति और सुख-शांति की कामना करते हैं, न कि उन लोगों के साथ जो केवल गुस्से और नकारात्मकता फैलाते हैं।
(Photo created by Bing AI Image Creator)
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