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1- जल्दी नष्ट हो जाते हैं ऐसे लोग
बुरे आचरण वाले, बिना वजह दूसरों को हानि पहुंचाने वाले तथा गंदे स्थान पर रहने वाले व्यक्ति के साथ जो पुरुष मित्रता करता है वह जल्दी ही नष्ट हो जाता है। गीता उपदेश: हार की सबसे बड़ी वजह क्या है? कामयाब बनने के लिए याद रखें गीता के ये सात श्लोक -
2- इन लोगों के लिए पृथ्वी ही स्वर्ग
जिसका बेटा वश में रहता है, पत्नी, पति के इच्छा अनुसार काम करती है और जो व्यक्ति कम धन में भी संतुष्ट है उसके लिए पृथ्वी ही स्वर्ग के समान है। -
3- ऐसे मित्र से रहें दूर
जो मित्र पीछे से आपके काम को बिगाड़े और सामने मीठी-मीठी बातें करें, ऐसे मित्र को उस घड़े के समान त्याग देना चाहिए जिसके मुंह पर तो दूध भरा हुआ है लेकिन अंदर विष होता। -
4- अति क्यों नहीं होना चाहिए?
अत्यंत रूपवती होने के कारण ही माता सीता का अपहरण हुआ, अधिक अभिमान होने के कारण रावण मारा गया। अधिक दान देने के कारण राजा बलि को कष्ट उठाना पड़ा, इसलिए किसी भी कार्य में अति नहीं करनी चाहिए। अति का सर्वत्र त्याग कर देना चाहिए। Vidur Niti: विद्यार्थियों को बर्बाद कर देती हैं यह सात चीजें, किसी दोष से कम नहीं हैं -
5- संकट और दुख में क्या करें?
संकट प्रत्येक मनुष्य पर आते हैं, परंतु बुद्धिमान व्यक्तियों को संकटों और विपत्तियों से तभी तक डरना चाहिए जब तक वे सिर पर न आ जाएं। संकट और दुख आने पर तो व्यक्ति को अपनी पूरी शक्ति से उन्हें दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए। -
6- क्या निरर्थक है?
समुद्र में बारिश होना, भोजन से तृप्त हुए मनुष्य को फिर से भोजन कराना, धनी लोगों को दान देना और दिन में दीपक जलाना आदि बातें व्यर्थ और निरर्थक होती हैं। -
7- सबसे प्रिय पदार्थ क्या है
बादल के जल जैसा दूसरा कोई जल शुद्ध नहीं, आत्मबल के समान दूसरा कोई बल नहीं, नेत्र ज्योति के समान दूसरी कोई ज्योति नहीं और अन्न के समान दूसरा कोई प्रिय पदार्थ नहीं होता। -
8- किस को वश में कैसे करें
लोभी को धन देकर, अभिमानी को हाथ जोड़कर, मूर्ख को उसकी इच्छा के अनुसार काम करके और विद्वान को सच्ची बात बता कर अपने वश में करने का प्रयत्न करना चाहिए। चाणक्य नीति: इन पांच मौकों पर नहीं दिखाना चाहिए अपना बल, मूर्ख कहलाते हैं ऐसे लोग