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जब जुकाम, सिरदर्द और भारीपन पूरी देह को जकड़ लेते हैं, तो अक्सर हम समाधान दवाइयों में तलाशते हैं। लेकिन भारतीय परंपरा में कई ऐसे घरेलू उपाय हैं, जो बिना किसी दुष्प्रभाव के राहत देने का काम करते हैं। इन्हीं में से एक है- हल्दी और सुहागा का औषधीय धुआं, जिसे आयुर्वेद में ‘धूमपान चिकित्सा’ का भाग माना गया है। (Photo Source: Pexels)
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यह कोई नया ट्रेंड नहीं, बल्कि पीढ़ियों से आजमाया हुआ एक घरेलू उपचार है, जो खासकर कफ दोष, नाक बंद, साइनस, सिरदर्द और जकड़न में बेहद प्रभावी माना जाता है। (Photo Source: Pexels)
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सुहागा और हल्दी क्यों?
सुहागा (टंकण भस्म) में एंटी-इंफ्लेमेटरी, कफ-शामक और वायुमार्ग साफ करने वाला गुण। हल्दी में कुर्कुमिन युक्त एंटीसेप्टिक, एंटी-वायरल और एंटी-एलर्जिक मसाला। दोनों जब हल्की गर्मी में धुआं छोड़ते हैं, तो यह धुआं नाक मार्ग और साइनस कैविटी पर तुरंत काम करने लगता है। (Photo Source: Freepik) -
क्या-क्या चाहिए?
1 चुटकी सुहागा, 1 चुटकी शुद्ध हल्दी, और लोहे या मिट्टी का तवा। (Photo Source: Unsplash) -
विधि: औषधीय धुआं कैसे तैयार करें?
तवे को हल्का गर्म करें। उस पर सुहागा और हल्दी डालें। जैसे ही हल्का सा धुआं उठने लगे, तवे को आग से हटा दें। तवे को नाक के पास लाएं और धीरे-धीरे धुएं को सूंघें। ध्यान रहे, धुआं बहुत तीव्र न हो, केवल हल्का और सूक्ष्म होना चाहिए। (Photo Source: Freepik) -
इस धुएं के फायदे
नाक बंद खुलती है और कफ का जमाव कम होता है। साइनस प्रेशर घटता है। सिरदर्द, भारीपन और जकड़न में तुरंत राहत। गले में खराश और पोस्ट-नेजल ड्रिप में सुधार। नाक की नमी संतुलित कर सांस लेने की क्षमता बढ़ाता है। यह विधि खासतौर पर सर्दियों, मौसम बदलने और वायरल सर्दी में बेहद उपयोगी है। (Photo Source: Pexels) -
किन बातों का ध्यान रखें?
बच्चों और गर्भवती महिलाओं को बहुत हल्का धुआं ही दें। तेज धुआं बिल्कुल न लें, इससे जलन हो सकती है। अगर जलन, खांसी, असहजता बढ़े तो तुरंत प्रयोग बंद करें। पुराने साइनस, अस्थमा या किसी एलर्जी के मरीज डॉक्टर से सलाह लेकर ही करें। (Photo Source: Freepik)
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