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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजपथ पर आयोजित योग कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कहा, ‘‘सूरज की पहली किरण जहां जहां पड़ेगी और 24 घंटे बाद सूरज की किरण जहां समाप्त होगी, ऐसा कोई भी स्थान नहीं होगा और पहली बार दुनिया को यह स्वीकार करना होगा कि यह सूरज योग अभ्यासी लोगों के लिए है और योग अभ्यास का यह सूरज ढलता नहीं है।’’ (स्रोत-पीटीआई)
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मोदी ने कहा, ‘‘हम केवल इसे एक दिवस के रूप में नहीं मना रहे हैं बल्कि हम मानव के मन को शांति के नये युग की ओर उन्मुख बना रहे हैं। यह कार्यक्रम मानव कल्याण का है और शरीर, मन को संतुलित करने का माध्यम और मानवता, प्रेम, शांति, एकता, सद्भाव के भाव को जीवन में उतारने का कार्यक्रम है।’’ (स्रोत-पीटीआई)
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प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मेरे लिये यह उतना महत्वपूर्ण नहीं है कि यह (योग) किस भूमि पर पैदा हुआ, किस भाग में इसका प्रसार हुआ। महत्व इस बात का है कि मानव का आंतरिक विकास होना चाहिए। हम इसे केवल एक दिवस के रूप में नहीं मना रहे हैं बल्कि हम मानव मन को शांति एवं सद्भवना के नये युग की शुरुआत के लिए प्रशिक्षित कर रहे हैं।’’ (स्रोत-पीटीआई)
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मोदी ने कहा कि दुनिया ने विकास की नई ऊंचाइयों को हासिल किया है। प्रौद्योगिकी एक प्रकार से जीवन के हर क्षेत्र में प्रवेश कर गया है। बाकी सब चीजे तेज गति से बढ़ रही हैं। दुनिया में हर प्रकार की क्रांति हो रही है। ‘लेकिन कहीं ऐसा न हो कि इंसान वहीं का वहीं बना रह जाए और विकास की अन्य सभी व्यवस्थाएं आगे बढ़ जाएं।’ (स्रोत-पीटीआई)
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प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर इंसान वहीं का वहीं बना रह जाएगा और विकास की अन्य व्यवस्थाएं आगे बढ़ जायेंगी तब एक ‘मिसमैच’ (असंतुलन) हो जायेगा। और इसलिए मानव का भी आंतरिक विकास होना चाहिए। विश्व के पास इसके लिए योग ऐसी ही एक विद्या है। (स्रोत-पीटीआई)
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मोदी ने कहा, ‘‘हम केवल इसे एक दिवस के रूप में नहीं मना रहे हैं बल्कि हम मानव के मन को शांति के नये युग की ओर उन्मुख बना रहे हैं। यह कार्यक्रम मानव कल्याण का है और शरीर, मन को संतुलित करने का माध्यम और मानवता, प्रेम, शांति, एकता, सद्भाव के भाव को जीवन में उतारने का कार्यक्रम है।’’ (स्रोत-पीटीआई)