तेजस्वी यादव ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक साथ उन्हें इतनी सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। बिहार चुनाव में मिली अप्रत्याशित हार ने उनकी नेतृत्व क्षमता पर प्रश्न चिन्ह खड़े कर दिए हैं। इस पर कोई सफाई दे पाएं, उससे पहले परिवार में कलेश शुरू हो चुके हैं। बहन रोहिणी ने गंभीर आरोप लगाए हैं, घर छोड़कर चली गई हैं और परिवार से भी नाता तोड़ा है। यानी कि तेजस्वी दोहरी मार झेल रहे हैं, सियासी और निजी।

अब तेज प्रताप को तो परिवार से पहले ही बेदखल कर दिया गया था, लेकिन रोहिणी का नाता तोड़ना अलग है, कई सवाल भी खड़े करता है। रोहिणी को लगता है कि बिहार चुनाव में जो हार मिली है, उसके लिए तेजस्वी जिम्मेदार हैं। उन्होंने राजद के ही दो अन्य नेता संजय यादव और रमीज पर भी आरोपों के कई बाण छोड़ दिए हैं। अब तो साफ हो चुका है कि रोहिणी की यहीं बातें तेजस्वी को कान में कंकड़ की तरह चुभी हैं, उनके आत्मसम्मन को गहरी चोट पहुंची है। तभी तो चप्पल उठाने तक की नौबत आई और मीसा भारती को बीच-बचाव करने आना पड़ा।

लालू परिवार के लिए इस समय अलग ही दुविधा खड़ी हो चुकी है। तेज प्रताप को तो पहले ही परिवार से बेदखल कर दिया था, पार्टी से भी बाहर निकाला, लेकिन तेजस्वी पर तो पूर्व सीएम का आशीर्वाद लगातार बना हुआ था, पूरे होशो आवाज में अपना उत्तारधिकारी माना था। वही तेजस्वी अब 25 सीटें लाकर पिता लालू को फिर सोचने पर मजबूर कर रहे हैं- कहीं कोई जल्दबाजी तो नहीं हो गई, कहीं बड़ा बेटा ज्यादा काबिल तो नहीं? अब बड़े बेटे की काबिलियत तो भविष्य की परीक्षाओं से परखी जाएगी, लेकिन तेज प्रताप का रोहिणी के समर्थन में उतर आना बताने के लिए काफी है कि तेजस्वी के खिलाफ भाई-बहन की जोड़ी एकजुट हो चुकी है। लालू परिवार टूट रहा है।

याद कीजिए तेज प्रताप किस तरह से राजद में रहकर भी तेजस्वी पर हमलावर थे। उस समय सीधे नाम तो नहीं लेते थे, लेकिन संजय यादव को ‘जयचंद’ कहकर कितनी बार संबोधित कर चुके थे। उनका मानना था कि पार्टी और परिवार को तोड़ने का काम हो रहा है। अब तेज प्रताप ने जैसी अपनी छवि बनाई, कई बार हल्की बयानबाजी भी हो गई, ऐसे में उन्हें गंभीरता से नहीं लिया गया। एक गलती हुई, सोशल मीडिया पोस्ट सामने आया और सीधे परिवार से ही बाहर निकाल दिया गया। किसी को भी ज्यादा हैरानी नहीं हुई, निष्कर्ष यहीं निकला- ‘समझदार’ तेजस्वी के लिए लालू ने रास्ता साफ कर दिया है, पार्टी भी विवादों से दूर रहेगी।

अब तेज प्रताप की बातों को गंभीरता से नहीं लिया गया, लेकिन रोहिणी आचार्य का क्या? लालू को किडनी देने वाली बेटी दुनिया के सामने चीख-चीख कर कह रही है- कल एक बेटी मजबूरी में अपने रोते हुए मां–बाप, बहनों को छोड़ आयी, मुझसे मेरा मायका छुड़वाया गया.. मुझे अनाथ बना दिया गया ….आप सब मेरे रास्ते कभी ना चलें , किसी घर में रोहिणी जैसी बेटी-बहन पैदा ना हो। रोहिणी यहीं नहीं रुकी, उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा- एक बहन , एक शादीशुदा महिला , एक मां को जलील किया गया , गंदी गालियां दी गयीं , मारने के लिए चप्पल उठाया गया।

इस पूरे घटनाक्रम पर क्या सफाई दे पाएगा लालू परिवार? तेजस्वी का रास्ता साफ करने के लिए तेज प्रताप को तो बेदखल कर दिया, लेकिन रोहिणी के साथ ये सबकुछ क्यों हुआ? क्या तेजस्वी के मोह में लालू-राबड़ी अब दूसरे बच्चों की भी तिलांजलि देने वाले हैं? हालात क्या इतने बिगड़ गए हैं कि नौबत मारपीट तक आ चुकी है? अब रोहिणी के आरोपों की हकीकत अभी धुंधली है-समय ही इसका फैसला करेगा, लेकिन जो कुछ भी सामने आया है, तेजस्वी को उससे भारी नुकसान पहुंचा है।

25 सीटों का गम शायद समय भर भी दे, लेकिन पहले तेज और अब रोहिणी के लगाए आरोप बता रहे हैं कि तेजस्वी अंदर से कितने असुरक्षित हो चुके हैं। बाहर दुनिया के लिए मैसेज एक ही है- तेजस्वी अपने सामने ना अपनी बुराई सुन सकते, ना वे किसी के सवाल का सामना कर सकते। तेज प्रताप ने सवाल उठाया तो पार्टी और परिवार दोनों से बाहर, रोहिणी ने टोक दिया तो वहां भी भयंकर बहस। मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहा नेता क्या इतना ‘छुईमुई’ व्यक्तित्व का हो सकता है? क्या लालू यादव अभी भी छोटे बेटे का बचाव करने वाले हैं? क्या वे परिवार को टूटने से बचा पाएंगे, क्या अपनी सियासी विरासत को सुरक्षित कर पाएंगे? रुझान जैसे आ रहे हैं, ऐसा होता मुश्किल लगता है।

लालू तो कह रहे हैं कि तेजस्वी ने ही पार्टी को आगे बढ़ाया है, लालू बता रहे हैं कि तेजस्वी ने चुनाव में बहुत मेहनत की, लेकिन रोहिणी के आरोपों का क्या, उनके दर्द का क्या? अगर चुप्पी साध रखी है, बताने के लिए काफी है- तेज प्रताप को तो ‘गलती’ की सजा आसानी से दे दी, लेकिन रोहिणी के आरोपों पर सफाई देना मुश्किल है।

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