आतंकवाद, हिंसा, अस्थिरता, संवैधानिक व्यवस्थाओं का अभाव, गरीबी और पिछड़ेपन से जूझते पाकिस्तान के कई इलाकों में आज भी बहुत सारी लड़कियों की स्कूल तक पहुंच नहीं है। अर्थव्यवस्था बेहाल है और गंभीर आर्थिक संकट है। मुद्रास्फीति बढ़ रही है। लोग स्वास्थ्य सेवा सहित बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
देश की अर्थव्यवस्था अंतरराष्ट्रीय एजंसियों और मित्र देशों से उधार लिए गए पैसे पर चल रही है। पाकिस्तान की तीस फीसद से अधिक आबादी स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर में गंभीर अभाव से ग्रस्त है, जबकि लगभग आधी आबादी गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर कर रही है।
महंगाई, गरीबी और बेरोजगारी से बुरी तरह जूझते इस देश के बारे में यह भी कहा जाता है कि कभी भी यहां बड़े नेताओं, सेना के परिवारों और अफसरों के लिए मंदी नहीं आती। इसका सबसे प्रमुख कारण नेताओं और सेना की अकूत संपत्ति है, जिसे सुरक्षित रखने के लिए क्रिप्टोकरंसी को कवच बनाने की तैयारी हो गई है।
पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता और नीतिगत अनिश्चितता ने पूंजी के लिए असुरक्षित वातावरण बनाया है। ऐसे में जिनके पास साधन और संपर्क हैं, वे अपनी संपत्ति को देश में रखने के बजाय विदेश में सुरक्षित करना अधिक अच्छा मानते हैं। दूसरी ओर, वहां कर चोरी व्यापक समस्या रही है। जब राज्य स्वयं कर संग्रह में असफल रहता है और कानून का समान रूप से पालन नहीं होता, तब संपन्न वर्ग के लिए अपनी आय छिपाना अपेक्षाकृत आसान हो जाता है।
यह छिपी हुई आय धीरे-धीरे विदेश में निवेश के रूप में बदल जाती है। परिणामस्वरूप, देश के भीतर विकास के लिए आवश्यक पूंजी बाहर चली जाती है। दूसरी ओर सरकार कर्ज और अंतरराष्ट्रीय सहायता पर निर्भर होती जाती है।
पाकिस्तानियों के पास दुबई में बड़ी संपत्तियां
पाकिस्तानी नागरिकों के पास दुबई में बड़ी संख्या में संपत्तियां हैं, जिनका कुल मूल्य साढ़े बारह अरब अमेरिकी डालर है। दुनियाभर के कारोबारियों और नेताओं की गुप्त सौदेबाजी का खुलासा 2016 में हुआ था और इसके केंद्र में पाकिस्तान के कई नेता, उद्योगपति और सेना के अधिकारी थे।
बाद में यह भी सामने आया कि पाकिस्तान की कुछ बड़ी हस्तियां गुपचुप तरीके से दौलत बाहर ले गई। इस मामले में इमरान खान के कुछ सहयोगियों के नाम भी शामिल थे। काले धन को वैध बनाने, प्रतिबंधों से बचने और कर चोरी में मदद की वैश्विक कड़ियां जुड़ीं, तो पाकिस्तान की राजनीति में हलचल मच गई और यह बड़ा मुद्दा भी बना।
नवाज शरीफ ने 2017 में पनामा पेपर्स में नाम आने के बाद प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। ‘ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल’ ने पाकिस्तान को दुनिया के सबसे भ्रष्ट देशों में से एक बताया है, जहां सभी क्षेत्रों में यह बुराई व्याप्त है।
पाकिस्तान सेना का व्यवहार जमीन माफिया जैसा
संयुक्त राष्ट्र की एक रपट में सेना से जुड़े व्यवसायों को पाकिस्तान का सबसे बड़ा समूह बताया गया है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने जून 2023 में देश को दिवालिया होने से बचाने में मदद करने के लिए सेना प्रमुख मुनीर को सार्वजनिक रूप से धन्यवाद दिया था। पाकिस्तानी सेना में जमीन हड़पने की लालसा इतनी अधिक है कि उनके जनरल सामंती जमींदारों की तरह व्यवहार करते हैं और उन्हें जमीन माफिया कहा जाता है।
यह एक ऐसा देश है जो आर्थिक संकट, कर्ज निर्भरता और मुद्रा अवमूल्यन से जूझ रहा है। क्रिप्टोकरंसी इस अविश्वास के वातावरण में राज्य-निरपेक्ष संपत्ति के रूप में सामने आती है। यह न किसी बैंक में रखी जाती है और न ही किसी एक देश के कानून के अधीन होती है। इसका नियंत्रण व्यक्ति के पास उसकी निजी डिजिटल कुंजी के माध्यम से रहता है।
यही कारण है कि लोग इसे पूंजी सुरक्षा के एक साधन के रूप में देखते हैं। जब मुद्रा का तीव्र अवमूल्यन होता है या महंगाई बचत को निगलने लगती है, तब सीमित आपूर्ति वाली क्रिप्टोकरंसी लोगों को अपनी पूंजी के मूल्य को बचाए रखने का एक विकल्प प्रतीत होती है। सीमा पार पूंजी ले जाने के संदर्भ में भी क्रिप्टोकरंसी की भूमिका महत्त्वपूर्ण हो जाती है।
पारंपरिक तरीकों में विदेशी मुद्रा नियम, सरकारी अनुमति, बैंकिंग प्रक्रिया और समय की लंबी देरी शामिल होती है। इसके विपरीत क्रिप्टो नेटवर्क के माध्यम से व्यक्ति कुछ ही मिनटों में बिना किसी मध्यस्थ के दुनिया के किसी भी हिस्से में मूल्य का हस्तांतरण कर सकता है।
आम नागरिकों को आर्थिक सशक्तीकरण क्रिप्टो का मूल उद्देश्य नहीं
पाकिस्तान में क्रिप्टोकरंसी का मूल उद्देश्य आम नागरिकों को आर्थिक सशक्तीकरण देना नहीं, बल्कि राजनीतिक आभिजात्य और सैन्य प्रतिष्ठानों के धन को अंतरराष्ट्रीय निगरानी से सुरक्षित रखना प्रतीत होता है। पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली पर अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और पश्चिमी वित्तीय एजंसियों की सख्त निगरानी है। ऐसे में क्रिप्टोकरंसी सत्ता वर्ग के लिए धन छिपाने, स्थानांतरित करने और प्रतिबंधों से बचने का एक वैकल्पिक माध्यम बन सकती है।
आम लोगों के लिए यह व्यवस्था लाभकारी नहीं है। पाकिस्तान की बड़ी आबादी आर्थिक रूप से असुरक्षित है, वित्तीय साक्षरता कम है और डिजिटल ढांचे की पहुंच सीमित है। क्रिप्टो में निवेश उनके लिए जोखिम भरा है। न तो वहां मजबूत नियमन है, न उपभोक्ता संरक्षण और न ही किसी प्रकार की गारंटी। ऐसे माहौल में आम लोग जल्दी अमीर बनने के लालच में अपनी जमा-पूंजी गंवा सकते हैं।
पाकिस्तान की लगभग पैसठ फीसद आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। बड़ी संख्या में लोगों की आजीविका कृषि, पशुपालन, खेतों में मजदूरी और उससे जुड़े छोटे व्यवसायों पर निर्भर है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था नकद लेन-देन, परंपरागत साहूकारी, आढ़ती प्रणाली और सीमित बैंकिंग तक ही सिमटी हुई है। डिजिटल बैंकिंग, इंटरनेट और स्मार्टफोन की पहुंच अब भी असमान और सीमित है। ऐसे में क्रिप्टोकरंसी जैसी जटिल, तकनीकी और अस्थिर वित्तीय व्यवस्था ग्रामीण पाकिस्तान के लिए लगभग अप्रासंगिक है।
ग्रामीण आबादी की प्राथमिक समस्याएं बिल्कुल अलग
ग्रामीण आबादी की प्राथमिक समस्याएं बिल्कुल अलग हैं। जैसे बीज, खाद और डीजल की महंगाई, सिंचाई की कमी, जलवायु संकट, फसल का उचित मूल्य न मिलना, कर्ज का जाल और सरकारी सहायता का अभाव। क्रिप्टो इन समस्याओं का समाधान नहीं करता।
जब किसी देश की अर्थव्यवस्था का आधार ग्रामीण जीवन, कृषि उत्पादन और स्थानीय बाजार हों, तब क्रिप्टोकरंसी विकास का इंजन नहीं बनतीं। पाकिस्तान के संदर्भ में यह स्पष्ट है कि क्रिप्टोकरंसी न तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी और न ही देश को आर्थिक स्थिरता देगी।
यह अधिकतर एक शहरी-आभिजात्य और सत्ता-संरक्षण परियोजना बन कर ही रह जाएगी, जिसका बोझ आखिरकार ग्रामीण और गरीब जनता पर पड़ेगा। अनियंत्रित पूंजी, क्रिप्टो और सट्टा अर्थव्यवस्था में असली उत्पादन की जगह वित्तीय जुगाड़ को समाधान समझा जा रहा है। क्रिप्टो को विकास का विकल्प बताना दरअसल यह स्वीकार करना है कि राज्य के पास संरचनात्मक सुधार की क्षमता नहीं बची।
जाहिर है, पाकिस्तान में क्रिप्टोकरंसी को बढ़ावा देना सुधार की नीति कम और सत्ता-संरक्षण की रणनीति अधिक दिखती है। इससे न तो आम जनता का जीवन सुधरेगा और न ही देश आर्थिक स्थिरता की ओर बढ़ेगा। वास्तविक लाभ केवल उन्हीं को मिलेगा जिनके पास पहले से शक्ति, सूचना और संसाधन मौजूद हैं, जबकि जोखिम का बोझ एक बार फिर आम नागरिकों पर ही पड़ेगा।
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