आमतौर पर अस्वीकार किए जाने को कुछ लोग अपनी व्यक्तिगत विफलता के रूप में देखने लगते हैं। दरअसल, अस्वीकृति का एक स्वस्थ डर अधिकांश लोगों के अंदर रहता है, लेकिन कुछ को यह जकड़ लेता है। जबकि इसे कुछ अलग तरह से भी देखा-समझा जा सकता है। स्वीकारे जाने या सफलता के बजाय अस्वीकृति पर ध्यान केंद्रित होगा, तो काम करना बहुत आसान लगेगा। ‘नहीं’ वास्तव में किसी और चीज के लिए ‘हां’ है। हमको जितने ‘हां’ की जरूरत है, उतने पाने के लिए हमें बहुत सारे ‘नहीं’ कहने पड़ते हैं।

अस्वीकृति को असफलता के बजाय अवसर के रूप में देखना सीखने से जीवन के कई पहलुओं में अधिक संतुष्टि मिल सकती है। काम और व्यक्तिगत लक्ष्यों से लेकर मजबूत संबंधों तक। जैसा कि एक कहावत है, ‘आप हर उस क्षण को याद करते हैं, जो आपसे छूट जाता है या फिर आप उसे गंवा देते हैं।’ लेकिन चूके गए अवसर भी किसी को बेहतर निशाना लगाने में मदद कर सकते हैं। संभव है, उससे बेहतर अवसर उसे मिल जाए।

अस्वीकृति से बचने के बजाय उससे निपटना सीखने की जरूरत

कायदा यह है कि अस्वीकृति से बचने के बजाय उससे निपटना सीखने की जरूरत है। अस्वीकृति के प्रति हमारा विरोध विकासवादी मनोविज्ञान में गहराई से निहित है। सामाजिक समूहों में खुद को सहज बना लेने से हमारा अस्तित्व सुनिश्चि होता है, इसलिए हमें सहज रूप से किसी भी ऐसे व्यवहार से बचना सीखना चाहिए, जो नकारात्मक सामाजिक प्रतिक्रिया का कारण बनता है।

अस्वीकृति भावनाओं के साथ-साथ हमारी ‘लड़ो या भागो’ प्रवृत्ति को भी संसाधित करती है। अगर कोई हमको नहीं कहता है, तो दोष यह नहीं है कि उन्हें लगता है कि हम बेकार हैं या उन्हें लगता है कि हम एक बुरे व्यक्ति हैं या पर्याप्त अच्छे नहीं हैं। इसके अलावा, कोई दूसरा आशय भी हो सकता है। हमें अपनी भावनाओं को प्रबंधित करना सीखना होगा, ताकि हम खुद को फिर से सामने ला सकें। सभी अस्वीकृतियां व्यक्तिगत नहीं होतीं। अस्वीकृति को विफलता के बजाय फिर से निर्देशित किए जाने की आवश्यकता के रूप में देखना चाहिए।

जितना अधिक अस्वीकृतियों से गुजरेंगे, यह उतना ही आसान होगा

हम जितना अधिक अस्वीकृतियों से गुजरेंगे, यह उतना ही आसान होगा और आखिर हम उतना ही अधिक पाएंगे। जोखिम और यहां तक कि सीधे अस्वीकृति भी कई बार पुरस्कार प्राप्त करती है। कामयाब लोगों का इतिहास उठाकर देखा जा सकता है कि उनमें से अधिकतर को शुरुआती दौर में अस्वीकृति का सामना करना पड़ा है। लगभग हर प्रतिष्ठित लेखक को उनकी रचनाओं के आधार पर शुरुआती दौर में खारिज कर दिया गया था। इससे खुद को पीड़ित मानने या हार जाने पर तस्वीर कुछ और होती, लेकिन उन्होंने उस अस्वीकृति को ढाल बना लिया।

लेखिका जेके रोलिंग की लिखी ‘हैरी पाटर’ को शुरुआती दौर में बारह प्रकाशकों ने सीधे-सीधे नकार दिया था। खिलाड़ी माइकल जार्डन को उनके हाई स्कूल की बास्केटबाल टीम से निकाल दिया गया था। पिछले साठ वर्षों में अधिकतर अमेरिकी राष्ट्रपति पहले किसी न किसी तरह से चुनाव हार चुके थे। मसलन, लिंडन बी जानसन, रिचर्ड निक्सन, जिमी कार्टर, बिल क्लिंटन, रोनाल्ड रीगन, जार्ज एच डब्ल्यू बुश, बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप। जाने-माने अभिनेता रहे सिल्वेस्टर स्टेलोन के मुताबिक, ‘राकी’ के लिए उनकी पटकथा और फिल्म का स्टार बनने की उनकी बोली को कई बार ठुकरा दिया गया था।

हालांकि अस्वीकार होना, खासकर अगर ऐसा बार-बार हो, तो कोई अच्छा अनुभव नहीं होता, लेकिन अपनी जीत-हार के अनुपात का हिसाब रखने के मायने यही है कि अस्वीकृति के बोझ तले हम दब गए हैं। शुरुआत में अस्वीकृतियां चुभती-सी महसूस होती हैं। ऐसा लगता है कि सिर्फ काम ही अस्वीकृत नहीं हो रहा, बल्कि एक व्यक्ति के रूप में भी हम अस्वीकृत हो रहे हैं।

अस्वीकृति के कुछ तर्क हमेशा हमारे नियंत्रण से बाहर होते हैं

मगर अस्वीकृति को दिल से लगाया जाए, तो वह आत्म-प्रताड़ना में बदल जाएगी। अस्वीकृति के कुछ तर्क हमेशा हमारे नियंत्रण से बाहर होते हैं। कुछ भी अस्वीकार किया जा सकता है और किसी भी कारण से। हम इसके बारे में लगभग कुछ नहीं कर सकते। अस्वीकृति शिक्षाप्रद हो सकती है, लेकिन केवल तभी, जब हम सुनें कि यह हमको क्या सिखाने की कोशिश कर रही है। अन्यथा हम शायद अस्वीकृति को पूरी तरह से गलत ही समझते रहेंगे।

सच यह है कि अस्वीकृति हमारे लिए एक उपकार बन सकती है। यह हमें वस्तुनिष्ठ वास्तविकता का सामना करने के लिए मजबूर करती है। हमें पता चलता है कि शायद हमारी लंबे समय से चली आ रही उम्मीदों के विपरीत हमारे अपने दिमाग के बाहर एक पूरा ब्रह्मांड मौजूद है और दूसरों की राय भी हमारी राय जितनी ही मायने रखती है। अस्वीकृति हमारे संकल्प को भी दृढ़ कर सकती है, क्योंकि जितनी बार हमें अस्वीकार किया जाता है, उतनी ही अधिक दृढ़ता से हम आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं।

अस्वीकृति लचीलेपन की कला, असफलता से उबरने की क्षमता, एक उद्यमी मानसिकता को बनाए रखने के लिए आवश्यक गुण की शिक्षा देती है। हालांकि अस्वीकृति को एक वांछित परिणाम या सफलता की सीढ़ी के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। लेकिन सबसे अच्छे हालात में अस्वीकृति हमें खुद के प्रति सच्चा रहने के लिए प्रेरित कर सकती है। इसलिए जितनी जल्दी हम ‘न’ के साथ तालमेल बिठाना सीख जाएंगे, उतनी ही जल्दी हमारे पास ‘हां’ कहने का मौका होगा।

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