जीवन मनुष्य को प्रकृति के द्वारा दी गई एक अनमोल भेंट है। केवल जन्म से लेकर मृत्यु तक की अवधि के रूप में ही जीवन को परिभाषित कर देना इसके अर्थ के साथ अन्याय करना होगा। सही अर्थों में जीवन संघर्षों, अनुभवों, भावनाओं, सफलता-विफलता और परिस्थितियों की एक सतत यात्रा का नाम है। अगर हम जीवन को एक सतत अन्वेषण के रूप में देखें तो निश्चित ही हम इसके प्रत्येक पहलू को उचित ढंग से देखते हुए उसका मूल्यांकन कर पाने में सक्षम हो सकेंगे। मगर यह भी तय है कि अन्वेषण की प्रक्रिया के उपरांत सफलता एवं सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने के लिए अन्वेषण का तर्क और जिज्ञासा के साथ संबद्ध होना नितांत आवश्यक है।
जीवन का प्रत्येक पहलू असीम संभावनाओं से भरा है। केवल आवश्यकता है, तो उन संभावनाओं और अवसरों को पहचानने की। प्रत्येक दिन थोड़ा-सा समय निकालकर हमें अपने अंतर्मन में झांकने का प्रयास करना चाहिए और उस अंतर्मन में कुछ प्रश्नों के बीज बोने चाहिए। यथा- जीवन क्या है, मैं कौन हूं, मेरा इस संसार में आने का उद्देश्य क्या है आदि। अपने अंतस की गहराइयों में उतरकर ही हम अपनी सभी शंकाओं का समाधान करने में सफल हो सकते हैं और एक बार जब शंकाओं का समाधान हो जाता है तो शांति का अथाह सागर हमारे हृदय में उमड़ पड़ता है।
हम दूसरों की गतिविधियों पर केंद्रित रहेंगे तो निश्चित है कि हम सदैव दुख से घिरे रहेंगे
बाह्य जगत की भाग-दौड़ तो कभी हमारा पीछा छोड़ने वाली नहीं है, किंतु इसी भागदौड़ में से हमें समय का अल्पांश अपने भीतर की यात्रा के लिए निकालने का प्रयास करना है। जीवन के हर मोड़ पर एक नई परिस्थिति हमारा स्वागत कर रही होती है। वह परिस्थिति चाहे अनुकूल हो या प्रतिकूल, हमें पूर्ण इच्छाशक्ति, बुद्धि और विवेक के साथ ही उसे संभालना है। मानवता और प्रेम जैसे सद्गुणों की नौका पर सवार होकर और दृढ़ संकल्प की पतवार लेकर जब हम जीवनरूपी उदधि की यात्रा करते हैं, तो निश्चित रूप से जीवन का प्रत्येक पहलू अपने आप ही हमारे अनुकूल होकर हमें सुखद परिणाम देने लगता है।
दरअसल, जीवन का प्रत्येक पहलू किसी परीक्षा के प्रश्न पत्र अथवा किसी प्रयोगशाला के प्रयोग की तरह है। इसके संभावित परिणामों के भी अनेक विकल्प होते हैं, लेकिन प्रत्येक परिणाम, प्रत्येक अनुभव, प्रत्येक परिस्थिति और प्रत्येक सत्य को सहज भाव से स्वीकार कर लेना ही हमें एक पूर्ण तथा सार्थक जीवन जीने की राह दिखाता है। प्रतिक्षण हम सुख की तलाश में ही रहते हैं, दुख को कदापि स्वीकार करना नहीं चाहते। किंतु हमें यह कटु सत्य अंगीकार करना होगा कि दुख भी इसी जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है। जीवन रूपी संग्राम में अगर हम दूसरों की गतिविधियों पर केंद्रित रहेंगे, तो निश्चित बात है कि हम सदैव दुख से घिरे रहेंगे। दुख के बवंडर से अपने आप को बाहर निकालने का केवल एक ही तरीका है कि हम स्वतंत्र रूप से अपना कर्म करें। जीवन बहुत ही लघु अवधि का है और समय अपनी तीव्र गति के साथ हमें नजरअंदाज करते हुए दौड़ता जा रहा है।
समय पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं
समय पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है। इसलिए बुद्धिमानी इसी में है कि हम जीवन के प्रत्येक छोटे पल को भी पूरी जीवंतता के साथ जीने का प्रयास करें और उस पल से नि:सृत होने वाले आनंद की अनुभूति करें। विफलताएं, प्रतिकूल परिस्थितियां और भय, इनको अपना साथी मानते हुए इनसे सकारात्मकता को निचोड़कर उसे अपनी अभिप्रेरणा बनाने का प्रयास करके ही हम जीवन के प्रत्येक पहलू को सार्थक बना सकते हैं। केवल प्रश्नों और शंकाओं से घिरे रहकर हम जीवन के अर्थ से कभी परिचित नहीं हो सकते। जीवन के पहलुओं और उनके सच्चे अर्थ से तभी परिचित हुआ जा सकता है, जब हम उन्हें सहज भाव और शांति के साथ जीने तथा महसूस करने का प्रयास करें। अपने चारों ओर के परिवेश में जब हम जीवन को ढूंढ़ेंगे, तभी समझ सकेंगे कि जीवन वास्तव में क्या है।
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बहुत अधिक गंभीरता के साथ जीवन की विवेचना करने का प्रयास करना हमें जीवन के सच्चे भाव और सुंदरता से दूर ले जा सकता है। एक अन्य महत्त्वपूर्ण बात यह है कि जीवन की सुंदरता का आनंद लेने के लिए हमें अपनी इच्छाओं पर लगाम लगानी होगी। इच्छाओं का ज्वार हमें आपाधापी और प्रतिस्पर्धा की ओर धकेल देता है, और ऐसी दशा में हम जीवन नहीं जी सकते। धैर्य और आत्मानुशासन जैसे गुण ही जीवन को सच्ची सुंदरता प्रदान कर सकते हैं। जीवन के विभिन्न पहलुओं के विषय में हमें अधिक से अधिक ज्ञानार्जन करने का प्रयास करना चाहिए, ताकि हम अपने व्यक्तित्व को विकास के उत्तरोत्तर शिखरों तक पहुंचा सकें।
अपने अधरों पर सदैव बनाए रखना चाहिए मुस्कान का आवरण
हर स्थिति में बंधनमुक्त होकर और शांतिपूर्ण मन:स्थिति के साथ छोटे-छोटे पलों में जीवन का रसास्वादन करना हमें एक सार्थक दिशा और दृष्टिकोण प्रदान कर सकता है। हर सुबह, हर शाम, हर रोज, हर रात, हर विचार, हरेक भावना और प्रकृति के प्रत्येक उपहार को पूर्ण हर्ष और उल्लास के साथ स्वीकार करते हुए अपने अधरों पर सदैव मुस्कान का आवरण बनाए रखना चाहिए। जीवन के आलेखन में रंग भरने में जीवन के प्रति हमारा नजरिया एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। कभी किन्हीं परिस्थितियों में अगर हम विचलित महसूस करते हैं, तो ठीक उस क्षण हमें सब कुछ छोड़कर एकांत में बैठकर अपने अंदर विद्यमान प्रेरक तत्त्व से जुड़ने का प्रयास करना चाहिए जो व्यापक स्वरूप में हर जगह मौजूद है। निश्चित ही एकांत और साधना के वे क्षण हमें एक अद्भुत प्रेरणा देने का कार्य करेंगे और हम आत्मशक्ति से परिचित होकर जीवन की सुंदरता के उन्नत आयामों तथा पहलुओं को समझ पाने में सक्षम और समर्थ हो सकेंगे।