मीडिया के एक वर्ग ने आदित्य धर की फिल्म ‘धुरंधर’ की काफी जहरीली समीक्षाएँ की। मैंने ऐसी समीक्षाओं के मद्देनजर एक लेख लिखना तय किया। उस लेख को लिखने से पहले कुछ जानकारों से फिल्म पर चर्चा की। इस दौरान एक फिल्मकार मित्र ने बहुत अहम बात कही।

मित्र के अनुसार फिल्म की सबसे बड़ी विफलता वह नहीं है जो उसके निंदक बता रहे हैं। फिल्म की सबसे बड़ी फेल्योर ये है कि क्लाइमेक्स आते-आते विलेन हीरो पर भारी पड़ जाता है। जनता की सहानुभूति विलेन के साथ बन जाती है।

उनकी बात ने मुझे चौंका दिया। उसके बाद मैंने कुछ लोगों से यह जानने का प्रयास किया कि क्या फिल्म के अंत में रहमान बलोच की मौत उन्हें बुरी लगी। मैंने जितने लोगों से बात की उनमें से ज्यादातर ने हाँ में जवाब दिया।

फिल्म में दिखाया गया है कि मुंबई हमला करने वालों के लिए हथियारों की व्यवस्था रहमान बलोच ने की थी। फिल्म में मुंबई में हमला करने वालों और पाकिस्तान स्थित उनके संचालकों के बीच बातचीत की रिकॉर्डिंग भी सुनायी गयी। इसके बावजूद दर्शकों के बीच रहमान बलोच एक खलनायक के तौर पर नहीं देखा जा रहा है।

रहमान बलोच पर फिल्माया गया गाना सोशलमीडिया पर वायरल है और उसपर अनगिनत रील बन चुके हैं। ज्यादातर समीक्षकों ने अक्षय खन्ना के अभिनय को फिल्म का सर्वश्रेष्ठ बिन्दु बताया है। निस्संदेह अक्षय खन्ना का अभिनय श्रेष्ठ है मगर फिल्म खत्म होने के बाद दर्शकों के मन में उसके प्रति सहानुभूति ज्यादा है तो यह फिल्मकार के लिए असफलता ही मानी जाएगी।

मुंबई हमले में 150 से ज्यादा लोगों की हत्या की गयी थी। चार सौ से ज्यादा लोग घायल हुए थे। ऐसे बर्बर हमले के सूत्रधारों का चरित्र-चित्रण अगर उसके प्रति हमदर्दी पैदा करता है तो इसे आदित्य धर की विफलता कहना, गलत नहीं होगा।

मुंबई फिल्म जगत पर यह आरोप लगता रहा है कि दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन जैसे अपराधियों को फिल्मों में नायक की तरह पेश करता रहा है। आदित्य धर की अब तक की पहचान भारतीय पुलिस और सेना के वीरों को नायक की तरह प्रस्तुत करने वाले निर्देशक की है अगर उनकी फिल्म भी दुर्दांत अपराधियों को जनमानस के बीच नायक की तरह स्थापित करेगी तो सवाल उठना लाजिमी है।

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‘धुरंधर’ में भी मुख्य प्लॉट यह है कि भारतीय जासूस देश की सुरक्षा के लिए कितना जोखिम उठाते हैं और जान की बाजी लगाकर मकसद को पूरा करते हैं। भारतीय जासूस हमजा अली मजारी की भूमिका निभाने वाले रणवीर सिंह फिल्म के नायक हैं। आदित्य धर से यह बड़ी चूक हो गयी कि फिल्म देखने के बाद दर्शकों के दिलोदिमाग पर भारतीय जासूस की वीरता के बजाय अपराधी रहमान बलोच का कैरेक्टर हावी रह गया।

भारतीय दर्शक रहमान बलोच के डांस स्टेप को कॉपी कर रहे हैं और अरबी गाने के लिरिक्स को दुहराने की सफल-विफल कोशिश करके रील बना रहे हैं। आप कह सकते हैं कि इस लिहाज से यह फिल्म एंटी-क्लाइमेक्स को प्राप्त हो गयी है। अब देखना ये है कि इसके अगले पार्ट में आदित्य धर अपने असल हीरो हमजा को भारतीय दर्शकों के दिल में जगह दिला पाते हैं या नहीं! कहीं ऐसा न हो कि अगले पार्ट के बाद दर्शक ‘बड़े साहब’ की तारीफ करते हुए घर तक जाएँ।

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