पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार (11 जून 2019) को समाज सुधारक ईश्वर चंद विद्यासागर की मूर्ति का अनावरण किया। कॉलेज स्ट्रीट स्थित हरे स्कूल में आयोजित एक कार्यक्रम में सीएम ने मूर्ति का अनावरण किया। इस दौरान सीएम ने मूर्ति पर फूल चढ़ाकर विद्यासागर को श्रद्धांजलि अर्पित की। सीएम इसके बाद विद्यासागर कॉलेज में मूर्ति को स्थापित करेंगी।

मालूम हो कि लोकसभा चुनाव प्रचार में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो के दौरान विद्यासागर कॉलेज में इस मूर्ति को तोड़ दिया गया था। मूर्ति तोड़े जाने के बाद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और बीजेपी ने एक-दूसरे को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था। दोनों ही दलों की तरफ से आरोप-प्रत्यारोप लगाए गए थे।

इसके बाद सीएम ममता ने मूर्ति तोड़े जाने को बंगाल की अस्मिता के साथ जोड़ते हुए इसे फिर से स्थापित करने का वादा किया था। करीब एक महीने बाद सीएम ने अपना वादा पूरा किया। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ऐसा ही वादा किया था। उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार विद्यासागर के दृष्टिकोण को लेकर प्रतिबद्ध है। पीएम ने कोलकाता में उसी जगह उनकी विशाल मूर्ति स्थापित करने का वादा किया था।

ममता ने ठुकरा दिया था ऑफर: ममता ने पीएम मोदी की इस पेशकश को सिरे से ठुकरा दिया था। उन्होंने कहा था कि बंगाल को भाजपा के पैसे की जरूरत नहीं है और राज्य के पास प्रतिमा को दोबारा बनवाने के लिये पर्याप्त पैसा है। इसलिए हमें भाजपा का पैसा नहीं चाहिए।’

कौन थे ईश्वर चंद विद्यासागर: विद्यासागर, बंगाल के पुनर्जागरण स्तंभों में से एक थे। बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, लिहाजा उन्हें चिंतक, अकादमिक शिक्षक, लेखक, अनुवादक, प्रकाशक, उद्यमी, समाज सुधारक और समाज सेवक के रूप में जाना जाता है। 26 सितंबर 1820 को बंगाल प्रेसिडेंसी (ब्रिटिश इंडिया में) में जन्मे विद्यासागर के बचपन का नाम ईश्वर चंद्र बन्दोपाध्याय था। उन्होंने संस्कृत कॉलेज से शिक्षा-दीक्षा ली थी।