अमेरिका-चीन की तनातनी के बीच अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने दिल्ली में न्गोडुप डोंगचुंग से मुलाकात की। न्गोडुप डोंगचुंग सर्वोच्च बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा के एक प्रतिनिधि के रूप में काम करते हैं। न्गोडुप डोंगचुंग केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) के प्रतिनिधि के रूप में भी कार्य करते हैं, जिसे निर्वासन में तिब्बती सरकार भी कहा जाता है।
दलाई लामा की 2016 में वाशिंगटन में तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात के बाद से डोंगचुंग के साथ ब्लिंकन की मुलाकात तिब्बती नेतृत्व के साथ सबसे महत्वपूर्ण मुलाकात है। सीटीए और तिब्बती समर्थन समूहों को हाल के महीनों में अंतरराष्ट्रीय समर्थन में बढ़ावा मिला है। नवंबर में, निर्वासित तिब्बती सरकार के पूर्व प्रमुख लोबसंग सांगे ने व्हाइट हाउस का दौरा किया था, जो छह दशकों में इस तरह की पहली यात्रा थी।
इसके एक महीने बाद, अमेरिकी कांग्रेस ने ‘तिब्बत नीति और समर्थन अधिनियम’ पारित किया, जो दलाई लामा के उत्तराधिकारी को चुनने के लिए तिब्बतियों के अधिकार का समर्थन करता है। हालांकि चीन ने अभी इस मुलाकात पर अभी कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन माना जा रहा है कि अमेरिका का ये कदम से चीन और भड़क सकता है।
चीन हमेशा से तिब्बत को अपना हिस्सा मानते रहा है और उसने दलाई लामा को खतरनाक अलगाववादी करार दिया है। जबकि दलाई लामा समेत उनके अनुयायी चीन के तिब्बत पर कब्जे को अवैध मानते रहे हैं, और स्वतंत्रता की वकालत करते रहे हैं।
बता दें कि 1950 में चीनी सैनिकों ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया था, जिसे बीजिंग “शांतिपूर्ण मुक्ति” कहता है। 1959 में, चीनी शासन के खिलाफ एक असफल विद्रोह के बाद दलाई लामा अपने अनुयायियों को साथ भारत आ गए थे।
अपनी विदेश मंत्री के रूप में पहली भारत यात्रा के दौरान एंटनी ब्लिंकन ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने जाने से पहले बुधवार को अपने भारतीय समकक्ष, विदेश मंत्री एस जयशंकर और अन्य अधिकारियों से भी मुलाकात की