बहुत साल पहले मैं अमृतसर के बाहरी इलाके में एक शादी में गया था। सब कुछ वैसा ही था जैसा कि आप एक भव्‍य पंजाबी शादी के बारे में कल्‍पना कर सकते हैं। एक खूबसूरत मकान, उसके पीछे एक बड़ा खेत, जनरेटर की बिजली से जगमग रोशनी, बॉलीवुड के गाने पेश करता एक लाइव बैंड, पंजाब की भव्‍यता की तारीफ के लिए कोई भी शब्‍द चुन लीजिए। और हां, काफी सारा नाच-गाना और मेंहदी की रिहर्सल। माहौल की महक कन्‍फ्यूज करने वाली थी। कभी ताजे सूरजमुखी के फूलों की तो कभी जनरेटर के डीजल की। हालांकि, सबसे ज्‍यादा महक शराब की, जो खास तौर पर उन बुजुर्ग लोगों के ग्रुप से आती थी, जो हाथ में ग्‍लास थामने में भी मजबूर नजर आते थे।

हमें एक अपेक्षाकृत छोटे से एयरकंडीशंड कमरे में ले जाया गया, जहां कुछ वयस्‍क युवक मौजूद थे। एक वेटर मेरे पास आया। उसके हाथ में एक ट्रे था। उसने मुझसे पूछा कि मुझे कुछ चाहिए क्‍या? मैंने उससे पूछा, ‘क्‍या का मतलब?’ मेरे पूछते ही उसने ट्रे को नीचे करके दिखाया, जो पूरी तरह से ड्रग्‍स से भरी हुई थी। ये ड्रग्‍स टैबलेट की शक्‍ल में थे। बेहद करीने से सजाए हुए, विभिन्‍न रंगों में और उनके नाम पंजा‍ब के कुछ मशहूर राजनीतिक हस्‍त‍ियों के नाम पर रखे गए थे।

पंजाब में ड्रग्‍स की समस्‍या आपकी कल्‍पना से कहीं ज्‍यादा गंभीर है। फिल्‍म ‘उड़ता पंजाब’ का विवाद लोकतंत्र में अभिव्‍यक्‍त‍ि की स्‍वतंत्रता और रचनात्‍मकता से जुड़ा हुआ है। इस फिल्‍म का एक भी फ्रेम देखे बिना मुझे यह लगता है कि सेंसर बोर्ड चीफ फिल्‍म का नाम बदलने की कोशिश करते हुए विषय से पूरी तरह भटक गए हैं। हालांकि, हमें भी समस्‍या की गंभीरता को समझने के लिए एक बड़े बजट के बॉलीवुड ब्‍लॉकबस्‍टर फिल्‍म का इंतजार नहीं करना चाहिए।

चंडीगढ़ ब्‍यूरो ने पंजाब में ड्रग्‍स से जुड़े मामलों की आठ महीने तक तहकीकात की। मैंने इनमें कुछ निष्‍कर्ष निकाले हैं, जो इस समस्‍या की गंभीरता बताती है

1) पंजाब पुलिस सिर्फ ड्रग्‍स की लत वाले लोगों को गिरफ्तार कर रही है, सप्‍लायर्स को नहीं।

2) कपूरथला जेल के सूत्रों का कहना है कि जेल में पहुंचे 40 फीसदी नए लोग ड्रग्‍स की लत वाले हैं। 2015 में नारकोटिक ड्रग्‍स एंड साइकोट्रोपिक सब्‍सटेंस एक्‍ट के तहत 14,483 एफआईआर दर्ज किए गए। यानी औसतन 27 केस प्रति दिन।

3) ड्रग्‍स की लत से परेशान कैदियों को जेल में मिलने वाली स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं इतनी अपर्याप्‍त हैं कि ड्रग्‍स के इस्‍तेमाल के लिए पकड़े गए किसी  शख्‍स की  हर चार दिन पर पुलिस कस्‍टडी में मौत होती है

4) और सबसे ज्‍यादा परेशान करने वाली बात। जेल के अंदर ड्रग्‍स आसानी से उपलब्‍ध है। इस साल 9 मई को कपूरथला जेल में मारे गए छापे में 308 सीरींज मिले। इससे पता चलता है कि जेल के अंदर किस तरह की मिलीभगत है। अमृतसर की एकमात्र जेल ऐसी है, जहां नशा उन्‍मूलन केंद्र है। लेकिन एनडीपीएस एक्‍ट के तहत बीते साल पकड़े गए 30 लोग इसी जेल के मारे गए।

हम अपनी तहकीकात जारी रखेंगे और कानूनी एजेंसियों की जवाबदेही तय करेंगे। लेकिन इस मुद्दे पर आपके ध्‍यान देने की जरूरत है।

यह बहुत बड़ा तथ्‍य है कि ड्रग्‍स की वजह से इस राज्‍य की एक पूरी की पूरी पीढ़ी बर्बाद हो गई है। पंजाब के वो मशहूर अब बेचैन युवा कहां हैं? कानून, बिजनेस, स्‍पोर्ट्स, एजुकेशन, साइंस, मीडिया या एंटरटेनमेंट में उनकी मौजूदगी कहां है? इंडियन हॉकी टीम के सरदार सिंह हमारे न्‍यूजरूम में आए (उनसे जुड़ा आइडिया एक्‍सचेंज आप अगले हफ्ते पढ़ेंगे) और बताया कि पंजाब से हॉकी खिलाडि़यों की संख्‍या में कमी आई है। यहां तक कि हर खेल में पंजाब से प्रतिभाओं की तादाद में भी कमी आ रही है। यह बेहद डराने वाला है।

मुझे याद है कि मेरे स्‍कूली दिनों में मेरे भूगोल के टीचर बताते थे कि पंजाब एक ऐसा राज्‍य है, जहां आप सड़क पर एक भी भिखारी नहीं पाएंगे। आजकल उन रिपोर्ट्स को पढ़ना बेहद दुखद है कि कई जवान लड़के-लड़कियां ड्रग्‍स की ओवरडोज की वजह से सड़कों पर बेसुध पड़े हैं। राज्‍य के इस पतन को देखना दुखद है कि और यह भी कि इतने बड़े और खूबसूरत राज्‍य की ओर लोगों का ध्‍यान सिर्फ एक तानाशाह सेंसर बोर्ड की वजह से जा रहा है। यह साफ है कि कई साल पहले ही इस समस्‍या की ओर देश का ध्‍यान जाना चाहिए था। चलिए यह उम्‍मीद करें कि उड़ता पंजाब से जुड़ा विवाद असल समस्‍या की ओर से ध्‍यान न हटाए। समस्‍या यह कि कभी देश का सबसे समृद्ध राज्‍य कहलाने वाला राज्‍य आज ड्रग्‍स की वजह से बर्बाद है।

(अनंत द इंडियन एक्सप्रेस में न्यू मीडिया के प्रमुख और पूर्णकालिक डायरेक्टर हैं। वे यूएससी एनेनबर्ग से प्रिंट जर्नलिज्म में ग्रेजुएट हैं।)