असम सरकार में गठबंधन सहयोगी पार्टियों के बीच झड़प की खबरों के बीच इंडिजेनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) ने भारतीय जनता पार्टी पर गंभीर आरोप लगाया है। पार्टी का कहना है कि बीजेपी उसके कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न कर रही है। IPFT ने धमकी दी कि अगर उसके कार्यकर्ताओं के साथ हिंसा नहीं रुकी तो वह ‘दूसरे विकल्पों’ पर विचार कर सकती है। IPFT के प्रवक्ता मंगल देबबर्मा ने सोमवार शाम एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘हालिया लोकसभा चुनावों के बाद से बीजेपी के लोग IPFT समर्थकों को लगातार निशाना बना रहे हैं। हम काफी डरे हुए हैं और हमारे सहयोगियों द्वारा लगातार हमारा उत्पीड़न हो रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार में सहयोगी होने के बावजूद हमें धमकियों और मारपीट का सामना करना पड़ रहा है। इस पर रोक लगनी चाहिए।’
गठबंधन से अलग होने का रास्ता अपनाने का अप्रत्यक्ष तौर पर इशारा करते हुए IPFT प्रवक्ता ने कहा कि अगर हिंसा तुरंत नहीं रुकती तो उनकी पार्टी ‘दूसरे विकल्पों’ पर विचार करेगी। क्या उनकी पार्टी सरकार से अलग हो जाएगी, यह सवाल पूछने पर प्रवक्ता ने कहा कि फिलहाल वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। देबबर्मा का दावा है कि 23 मई को लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद हुए कई हमलों में IPFT के 100 से ज्यादा कार्यकर्ता घायल हुए हैं। उनके मुताबिक, गठबंधन सहयोगी पार्टियों के कार्यकर्ताओं के बीच हिंसा के सबसे ज्यादा मामले त्रिपुरा के जोलाईबाड़ी सब डिविजन, पश्चिमी त्रिपुरा के जाम्पुईजाला सब डिविजन और नॉर्थ त्रिपुरा के सदर सब डिविजन के अलावा खोवाई और धालाई जिलों में सामने आए हैं।
प्रवक्ता ने कहा, ‘अभी तक IPFT ही ऐसी पार्टी है जिसका त्रिपुरा में कोई अस्तित्व है। बीजेपी अपना खुद का सपोर्ट बेस बनाने की कोशिश कर रही है। उन्हें लगता है कि अब उन्हें IPFT की जरूरत नहीं है।’ देब बर्मा ने आरोप लगाया कि इसी वजह से उनके कार्यकर्ताओं पर हमले हो रहे हैं। उधर, बीजेपी प्रवक्ता अशोक सिन्हा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि IPFT गठबंधन से अलग होने की धमकियां देकर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि बीजेपी हिंसा की राजनीति में भरोसा नहीं करती और लोगों को उत्पीड़न राजनीतिक लड़ाइयों की वजह से हुआ है।