पूर्व पुलिस आयुक्त भीमसेन बस्सी के कार्यकाल में सालों एक ही जगह पर मजे करने वाले पुलिसकर्मियों, अपने वरिष्ठों को खुश कर मनमानी जगह पाने वाले और समय से पहले तरक्की पाने वालों के लिए की अब शामत आने वाली है। आयुक्त आलोक वर्मा के इस फरमान के लागू होने के बाद पुलिस उपायुक्त अपने मन माफिक किसी का भी ट्रांस्फर, पोस्टिंग, प्रोन्नति आदि नहीं कर पाएंगे। पुलिस उपायुक्त किसी पुलिसकर्मी को सजा या खुश होकर उनका तबादला या पोटिंग मन माफिक जगह कर देते थे लेकिन अब ये काम आसान नहीं होगा।
बस्सी के बनाए पुलिस स्थानांतरण तंत्र को मौजूदा आयुक्त आलोक कुमार वर्मा ने सख्ती से लागू करने का फरमान जारी किया है। सूत्रों की मानें तो ताजा फरमान जारी होने के बाद जिले और संबंधित यूनिटों के प्रधानों में हलचल है। यानी अब पुलिस उपायुक्तों के पर कतरे जाने वाले हैं। जिले के पुलिस उपायुक्त या संबंधित यूनिटों के उपायुक्त, संयुक्त आयुक्त और यहां तक कि विशेष आयुक्त बिना आयुक्त की सहमति के अपने किसी कनिष्ठों के न तो पर कतर सकेंगे, न स्थानांतरण और न ही प्रोन्नति दे सकेंगे। इसके लिए अधिकारियों को पूरे कारणों और उपलब्धियों का ब्योरा देना होगा। साथ समर्थन में सबूत के तौर पर दस्तावेज भी पेश करने होंगे। इस प्रक्रिया पर नजर रखी जाएगी और नियमित रिपोर्ट आयुक्त कार्यालय को भेजी जाएगी।
कांस्टेबलों, हेड कांस्टेबलों और सहायक सब इंस्पेक्टरों के स्थानांतरण आदि के लिए आटोमेटिक पोस्टिंग एंड ट्रांसफर (एपीटी) भी आयुक्त की देख रेख में किया जाएगा। इसके अलावा इनके ऊपर के अधिकारियों के लिए बनाई गई पूर्ववर्ती नीतियों का ही पालन किया जाएगा। आयुक्त के इस फरमान के बाद दिल्ली पुलिस में हलचल शुरू हो गई है।
सूत्रों के मुताबिक दिल्ली पुलिस में सालों से पुलिसकर्मी एक ही जगह तैनात रहते हैं। उदाहरण के लिए एम्स चौकी पर सब इंस्पेक्टर इकपाल कब से आम लोगों और पुलिस अधिकारियों की सेवा कर रहे हैं यह शायद पुलिस मुख्यालय को भी याद न हो। इसी तरह सालों से ट्रांसपोर्ट आर्थोरिटी, बार्डर इलाके में कनिष्ठोें की तैनाती है। इन्ही असमानताओं को समाप्त करने के जिले के उपायुक्तों व संबंधित अधिकारियों से उनके अधीन इस्टेब्लिशमेंट ब्रांच की रिपोर्ट मांगी गई है। इसी ब्रांच के जिम्मे जिले के कांस्टेबलों से लेकर एएसआइ के तबादले का जिम्मा है। ‘आॅटोमेटिक पोस्टिंग एंड ट्रांसफर ’ तंत्र इसलिए विकसित किया गया था ताकि बड़े स्तर पर कांस्टेबलों, हेड कांस्टेबलों और सहायक उप निरीक्षकों की नियुक्ति और तबादलों का निष्पक्षता से प्रबध्ांन किया जा सके। यह तंत्र बस्सी ने ही विकसित करवाया था।
मगर सूत्रों का कहना है कि एटीपी तो बन गया लेकिन उसे पूरी तरह अमलीजामा नहीं पहनाया गया। मौजूदा आयुक्त आलोक वर्मा को जब इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने तुरंत एक निर्देश जारी कर एटीपी के साथ ही संबंधित आला अधिकारियों से कार्रवाई का विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। सूत्रों ने बताया कि एटीपी प्रणाली केवल कागजों तक सीमित है। ऐसे कांस्टेबल और सहायक उपनिरीक्षक भी हैं, जो अस्पतालों, रेलवे स्टेशनों, बाजार क्षेत्रों एवं अन्य स्थानों पर एक दशक से ज्यादा समय से जमे हुए हैं। विभिन्न जिला, यूनिट प्रमुख लगातार दूसरे यूनिट से अच्छे कामों अपराधियों के व्यापक ज्ञान और अनुभव के आधार पर उनके तबादले, पोस्टिंग की सिफारिश कर रहे हैं। आयुक्त ने इसे बारीकी से देखने के बाद निर्देश जारी किया है।