दिल्ली सरकार की जन शिकायत निगरानी व्यवस्था (पीजीएमएस) के दावों से अलग और बुलंदशहर सामूहिक बलात्कार के नाम पर सड़क पर जांच में मुस्तैदी सिवा खोखले दावे के और कुछ नहीं है। पुलिस समय की मांग के मुताबिक चुस्त नहीं दिखी। कुर्सी से चिपक और फोन में उलझ जनता की सुरक्षा की खानापूर्ति करती दिल्ली पुलिस का हाल बयान कर रही ‘जनसत्ता पड़ताल’।
रात 10:15 पर न्यू अशोकनगर थाना क्षेत्र
दिल्ली नोएडा बार्डर के न्यू अशोकनगर थाना के वसुंधरा एंक्लेव, अनुपम व सम्राट अपार्टमेंट के सामने नगर निगम टोल टैक्स के पास स्थित पुलिस बूथ से इसकी शुरुआत की गई। यहां न्यू अशोकनगर की पुरानी बस्ती को छोड़कर अमूमन बड़ी और पॉश सोसाइटी बसी हुई है। अनुपम और सम्राट के अलावा अभिनव, लैया, मोड, डाक्टर्स और पवित्रा जैसे दर्जनों अपार्टमेंट में हजारों लोग रहते हैं। बूथ पर जांच के नाम पर सामने एक पुरानी बुलेट मोटरसाइकिल लगे होने के अलावा और कोई नहीं दिखा।
इसी जगह से थोड़ा आगे हैै पुराना न्यूअशोकनगर थाना। यह थाना मयूर विहार फेस-तीन के पास अपनी नई बिल्डिंग में पहुंच गया हैै लिहाजा यहां के बोर्ड को काली स्याही से मिटा दिया गया है। हालांकि अभी भी युवा फाउंडेशन दिल्ली पुलिस का बोर्ड यहां चिपका है। इस थाने को नई बिल्डिंग में गए सालों हो गए लेकिन यहां अभी भी पुलिस की गाड़ियां और जब्त की गई गाड़ियों का जखीरा पड़ा हुआ है। घुप अंधेरे में कोई बड़ी वारदात हो जाए, बदमाश छुपकर रात भर आराम करे और सुबह धीरे से निकल जाए तो उसे देखने वाला भी कोई नहीं है। बिल्कुल खंडहर जैसी स्थिति में यह थाना परिसर एक अदद रोशनी की बाट जोह रहा है। जब अपने थाने की निगरानी पुलिस नहीं कर पा रही है तो फिर आम दिल्ली वाले क्या उम्मीद करें।
रात 10:40 पर मयूर विहार थाना क्षेत्र
मयूर विहार थाने की ओर कूच किया। मयूर विहार का त्रिलोकपुरी इलाका हमेशा संवेदनशील बना रहता है। यहां एक पत्थर भी एक समुदाय से दूसरे समुदाय के घर पर गिर जाए तो माहौल तनावपूर्ण होना तय है। त्रिलोकपुरी 26 व 27 ब्लाक के सभी बूथ बिना पुलिस की चौकसी के सोते मिले। कहीं अवरोधक है तो पुलिस नहीं कहीं पुलिस की जिप्सी खड़ी हैै तो अवरोधक नदारद। सबसे चौंकाने वाली स्थिति कल्याणपुरी थाने की है। पुराना चांद सिनेमा मोड़ पर एक पुलिस वाले आधे घंटे से फोन पर लगे रहे। अपनी मोटरसाइकिल पर बैठा यह पुलिसवाला फोन से इस तरह चिपके मिला जैैसे फोन देखना ही उसकी ड्यूटी है। बगल से गाड़ियां आ-जा रही हैं। रात के समय पान की दुकान खुली है और चार युवक उसके सामने गप्पें मार रहे हैं। लेकिन इस पुलिसवाले को इन सबसे जांच से कोई मतलब नहीं है। रात करीब दस बजकर 40 मिनट हो रहे थे। इस संवाददाता ने अपनी मोटरसाइकिल शुरू कर उसकी रोशनी पुलिसवाले की तरफ कर दी ताकि एक बार भी वह यह बोले कि ऐसे क्यों गाड़ी चला रहे हो। लेकिन उसके ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ा। उसकी एक नहीं बल्कि कई तस्वीरें ली गर्इं। लेकिन अपने मोबाइल प्रेम में वह टस से मस नहीं हुआ। फिर ऐसे पुलिस वाले पर कैसे सुरक्षा की गारंटी सौंपी जा सकती है। यहां से कल्याणपुरी थाना चंद कदम पर है। थाना बिलकुल खुशनुमा माहौल में दिखा। पुलिस की गाड़ियां-जिप्सियां और चेतावनी के सायरन से लैस मोटरसाइकिल कहां से थाना परिसर में घुस रहे हैं यह पता ही नहीं चल रहा था। स्थानीय लोगों की कारें, तिपहिया और दुपहिया पूरे थाने के गेट को घेरे हुए मिलीं। दो दर्जन से ज्यादा फरियादी अपनी शिकायत लेकर थाने के अंदर नहीं बल्कि गेट पर ही जमे हुए थे। थाना के अंदर गेट पर एक कुर्सी लगी थी जिस पर एक पुलिसवाला आराम से बैठकर पूरे नजारे का गवाह बन रहा था। भीड़ को कोई यह कहने वाला नहीं दिखा कि इतनी रात गए, थाने के गेट को छोड़ो।
रात 11:00 पर कल्याणपुरी का इलाका
कल्याणपुरी बस स्टैंड से आगे रेहड़ी पर सालों से रास्ता रोककर लोग फल बेचते हंैै। यही कारण है कि यहां सुबह से देर रात तक जाम का नजारा रहता है। इस चौराहे पर जब संवाददाता की मोटरसाइकल पहुंची तो स्थिति वही पुरानी। फल वाले दुकान समेट रहे हैं। एक रास्ता नोएडा के वसुंधरा एंक्लेव की ओर जाता है। दूसरा कल्याणपुरी बस स्टैंड की तरफ से। तीसरा मयूर विहार फेस तीन और चौथा खिचड़ीपुर धोबी घाट की तरफ से। दिल्ली पुलिस के अवरोधक पर रोशनी जलती है। लेकिन वहां बैैठे पुलिस वाले भी फोन पर मस्त दिखे। रात के 11 बज रहे थे। लगा कि कुछ देर इस पुलिसवाले की मुस्तैदी देखी जाए। लेकिन कुर्सी से चिपके पुलिस वाले उठने को तैयार नहीं थे। आधे घंटे यानी साढ़े 11 बजे तक संवाददाता ने इस नजारे को कैमरे में कैद किया। वहां से गुजर रहे अन्य व्यक्ति ने तस्वीर खींचने को गौर किया लेकिन बेखबर पुलिसवाला फोन पर बातें करने में व्यस्त रहा।
रात 12:00 पर कोंडली के आसपास
कोंडली नहर होते, मुल्ला कालोनी की स्थिति को भांपते, गाजीपुर मुर्गामंडी के सामने दिल्ली-उत्तर प्रदेश गेट का नजारा ही कुछ और था। रात के 12 बज रहे थे और चौकसी ऐसी जैसे कोई बड़ी वारदात हो गई हो। गाजीपुर फूल मंडी, सब्जी मंडी के रास्ते को आनंद विहार-वैशाली की ओर मोड़ दिया गया था। दिल्ली एनएच-24 होकर गाजियाबाद इंंदिरापुरम जाने वालों को सीधे जाने के निर्देश दिए जा रहे थे। यहां बार्डर हैै लिहाजा दिल्ली और गाजियाबाद की पुलिस मुस्तैदी रखती है। मोटरसाइकिल पल भर के लिए रुकी नहीं कि एक पुलिसवाला पहुंच गया। यहां मत रोको गाड़ी। ‘जिधर जाना हो, उधर निकल जाओ’। फोटो खींचने की मंशा यहां फेल हो गई। एक पुलिस वाले से पूछने पर कि कोई विशेष जांच हो रही है तो छूटते ही उसने कहा कि अरे भाई साहब-बुलंदशहर में नहीं देख रहे हो, क्या हुआ। उसी की जांच हो रही है। वारदात कहीं भी, किसी भी स्तर पर हो अंतत: गाज पुलिस वाले पर ही गिरती है। कब उधर से डीएम आ जाए, कब इधर से डीसीपी साहब, कहना मुश्किल हैै। इसलिए मुस्तैदी तो हमें रखना पड़ेगी। मतलब साफ था कि इस बार्डर पर जांच मुस्तैदी से हो रही और कारण बुलंदशहर की वारदात है।