राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के बेटे विवेक डोभाल ने ‘द कारवां’ मैगजीन में उनके परिवार को ‘डी कंपनी’ कहकर संबोधित करने से उनकी छवि खराब हुई है। सोमवार को दिल्ली की एक अदालत में विवेक द्वार दायर मानहानि केस की सुनवाई के दौरान उन्होंने मैगजीन में छपे टाइटल को लेकर आपत्ति जाहिर की। उन्होंने कहा कि मुझे इस लेख से परेशानी नहीं है लेकिन इसमें छपी मेरे पिता और भाई की फोटो के साथ ‘द डी कंपनी’ टाइटल से समस्या है।

उन्होंने अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल के समक्ष कहा, ‘यह विशेष रूप से ध्यान देने योग्य है क्योंकि भारत में ‘डी कंपना’ संदर्भ दाऊद की कंपनियों से है जो कि एक अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी है। उनके इस शीर्षक से मेरा बिजनेस भी प्रभावित हो रहा है। मेरे पिता और मैंने सालों की मेहनत कर अपनी एक छवि बनाई है जिसे तबाह करने की कोशिश की गई है।’

उन्होंने मैगजीन में कथित मानहानिकारक लेख प्रकाशित किये जाने और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश द्वारा उसकी सामग्री का इस्तेमाल किये जाने पर यह मानहानि का मामला दायर किया है। शिकायत के मुताबिक, रमेश ने 17 जनवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मैग्जीन में छपी बातों को फिर से दोहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि लेख के तथ्यों में उन्हें लेकर ‘कोई वैधानिकता’ नहीं है लेकिन पूरा विवरण कुछ इस तरह से दिया गया जो पाठकों को ‘गलत होने का’ संकेत देता है। उन्होंने बिना तथ्यों की जांच के हम पर कई झूठे आरोप लगाए। हालांकि कारवां के राजनीतिक संपादन हरतोष सिंह बल ने कहा है कि हमन तथ्यों की जांच की हुई है और हमारे पास इससे जुड़े सबूत भी हैं।

क्या छपा था मैगजीन में?

कारवां मैगजीन ने अपने लेख में विवेक डोभाल पर कई सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। मैगजीन के 16 जनवरी को ‘द डी कंपनी’ के शीर्षक वाले ऑनलाइन लेख में कहा था कि विवेक डोभाल ‘केमन द्वीपसमूह में हेज फंड चलाते हैं’। यह द्वीपसमूह ‘कालेधन को ठिकाने लगाने का स्थापित सुरक्षित ठिकाना’ है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा 2016 में 500 और हजार रुपये के नोट बंद किये जाने के महज 13 दिन बाद पंजीकृत की गई थी। लेख के मुताबिक विवेक को नोटबंदी की पूर्व में ही जानकारी थी इसलिए उन्होंने निवेश के लिए पहले से ही तैयारी की हुई थी।