राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार ने गुरुवार (30 मई 2019) को अपनी पार्टी के कांग्रेस में विलय की बात से इनकार कर दिया। राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी कि एनसीपी का कांग्रेस में विलय हो सकता है। लेकिन अब इन अटकलों पर पवार ने खुद विराम लगा दिया है।

दरअसल एनसीपी प्रमुख ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की थी। जिसके बाद अटकलों का दौर शुरू हुआ। पवार ने कहा है कि राहुल से उनकी मुलाकात लोकसभा के नतीजों पर चर्चा को लेकर थी। उन्होंने कहा ‘राहुल गांधी मुझसे मिलने मेरे आवास पर आए थे। हमने इस दौरान लोकसभा चुनाव परिणामों पर चर्चा की। इस दौरान एनसीपी के कांग्रेस में विलय को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई। ये सिर्फ झूठी अफवाहें हैं और इनका कोई आधार नहीं।’

वहीं एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने भी इन खबरों का सिरे से खंडन किया है। उन्होंने कहा ‘इन रिपोर्ट्स में कोई सच्चाई नहीं है। इस मसले पर कोई बातचीत नहीं चल रही। इन रिपोर्ट्स का सिर्फ एक ही मकसद है और वह है कांग्रेस और एनसीपी कार्यकर्ताओं में भ्रम  की स्थिति में रखना।

वहीं कांग्रेस के एक नेता ने कहा है कि ‘अगर विलय होता है तो इससे एनसीपी और कांग्रेस दोनों को ही फायदा होगा। कांग्रेस की लोकसभा में स्थिति मजबूत होगी। इससे पार्टी के लोकसभा में 51 से 56 सदस्य हो जाएंगे। जिससे कांग्रेस को मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा प्राप्त हो जाएगा। वहीं कांग्रेस शरद पवार को राज्य सभा में विपक्ष का नेता बनने में मदद करेगी। लेकिन अगर ऐसा होता है तो एनसीपी का अपना अस्तित्व पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।’

बता दें कि लोकसभा चुनाव में एनसीपी और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा था लेकिन दोनों को इसका कोई फायदा नहीं मिला। एनसीपी ने महज चार सीटों पर जीत हासिल की तो वहीं कांग्रेस एक सीट पर ही जीत सकी।