उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के बढपुरा इलाके मेंं मंगलवार की शाम को एक ही परिवार के चार लोगों के चंबल नदी मेंं कूदने के पीछे परिवार के मुखिया को पारिवारिक संपत्ति मेंं बराबर की हिस्सेदारी न मिलना माना जा रहा है। चंबल मेंं कूदने वाले युवक के ससुर की बात मानी जाए तो उसके पिता ने अपने बेटों के बीच संपत्ति के बंटवारे को सही ढंग से नहीं किया। इसी कारण उनका दामाद काफी दिनों से परेशान था, इसके चलते उसने अपने पूरे परिवार को इस तरह से खत्म करने का कठोर निर्णय लिया।
जसवंतनगर सर्किल पुलिस आॅफिसर चंद्रदेव यादव ने बुधवार को बताया कि मंगलवार की शाम को चंबल नदी मेंं कूदे लोगों ने एक लाल डायरी छोड़ी थी, जिस डायरी ने कूदने वालों की पहचान मेंं काफी मदद की, क्योंकि उसमेंं दिए गए नंबर पर बात करने पर स्थानीय पुलिस को मनोज सिंह तोमर नामक व्यक्ति के परिजनों से संपर्क स्थापित करने में खासी मदद मिली है। उन्होंने बताया कि चंबल नदी मेंं छलांग लगाने वाले चारों की पहचान कर ली गई है। लेकिन अभी सभी को नदी से निकालने के मामले में कोई कामयाबी नहीं मिल पाई है। चारों एक ही परिवार के हैं। चंबल में कूदने वाले माता-पिता और भाई-बहन हैं। मंगलवार की शाम को चंबल नदी में कूदने की इस घटना के बाद सभी की पहचान की कोशिशें जारी थीं। बुधवार तड़के मनोज के ससुर वीरपाल सिंह ने अपने परिवार के कई सदस्यों के साथ बढपुरा थाना आकर इस बात की तस्दीक की कि नदी में कूदने वाले उनके दामाद मनोज, उनकी बेटी ज्योति, नाती प्रिंस और रितिका हैं।
सभी के नदी में कूदने के पीछे आर्थिक तंगी बड़ा कारण समझ में आया। क्योंकि मनोज के एक भाई की मौत के बाद मनोज के पिता सुधर सिंह ने अपनी संपत्ति का बंटवारा मनोज के बडेÞ भाई के पक्ष में अधिक कर दिया, जिसके चलते मनोज कुछ समय से तनाव में था। लेकिन इस बात की पूरी तरह से पुष्टि नहीं हो सकी है। क्योंकि मनोज के पिता अपने बेटे, बहू, नाती और नातिन की खोज में चंबल के किनारे चले गए थे। मनोज आगरा मेंं जिस कमरे मेंं रहता था, उस कमरे पर करीब 15 दिनों से ताला लगा हुआ है।
यानी वह पखवाड़े भर से गायब रहा। मनोज की ससुराल मैनपुरी जिले के कुर्रा थाना इलाके भवानीपुर में है, जहां से वह मंगलवार को सुबह निकला और शाम पांच बजे के आसपास बस से उतर कर वह अपने परिवार के साथ कूद गया। फिलहाल सभी के बचने की संभावनाएं न के बराबर हैं। चंबल नदी के खतरे के निशान को पार कर जाने के कारण बचाव और खोजबीन कार्यों में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
