भाजपा शासित त्रिपुरा की एक गौशाला में बीते 3 माह के दौरान 150 से ज्यादा गायों की मौत होने का मामला सामने आया है। गायों की मौत का कारण उनके ठहरने के लिए समुचित व्यवस्था का ना होना और चारे की कमी बताया जा रहा है। खबर के अनुसार, करीब एक साल पहले 850 गायों को भारतीय सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर पकड़ा था। इन गायों को तस्कर भारत से बांग्लादेश ले जा रहे थे, लेकिन सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने त्रिपुरा सीमा पर इन तस्करों को पकड़ लिया और गायों को मुक्त कराया।

बताया जा रहा है कि कोई व्यवस्था ना होने के चलते तस्करों के चंगुल से मुक्त करायी गई गायें कुछ दिनों तक बीएसएफ की चौकियों पर ही रखी गई। बाद में बीएसएफ ने त्रिपुरा पुलिस को इसकी जानकारी दी, लेकिन पुलिस ने भी इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। इसी बीच दिल्ली स्थित ध्यान फाउंडेशन इन गायों की रक्षा के लिए आगे आयी और फाउंडेशन ने डिपार्टमेंट ऑफ एनीमल रियररिंग एंड डेवलेपमेंट (DARD) की मदद से अगरतला से 22 किलोमीटर दूर स्थित सिपाहीजाला जिले के देवीपुर गांव में एक गौशाला बनाकर गायों को वहां शिफ्ट कर दिया।

लेकिन बीते तीन माह के दौरान इस गौशाला में 159 गायों की विभिन्न कारणों से मौत हो चुकी है। कुछ गायें भूख और बीमारी के चलते मरी, वहीं कुछ पहले से ही कमजोर और बीमार थी, जो कि उनकी मौत का कारण बना। ध्यान फाउंडेशन के इंचार्ज जोशिनी एंटोनी ने द इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में बताया कि गौशाला के पास घास भरे मैदानों की कमी है, जिससे गायों के लिए चारे का इंतजाम नहीं हो पाया। साथ ही सरकार की तरफ से गायों को दवाईयों या डॉक्टर की सुविधा भी प्रदान नहीं की गई, जिसके चलते बीमार गायों की मौत हो गई।

एंटोनी के अनुसार, गौशाला में 300 गायों को रखने की व्यवस्था है, लेकिन अभी वहां करीब 700 गायें रह रही हैं। इसके अलावा गायों के ठहरने के लिए शेल्टर की व्यवस्था नहीं है, जिसके चलते बारिश के मौसम में भी गायें शेल्टर के बिना रह रही हैं। इसी कारण कई गायें बीमार हो गई और इलाज के अभाव में इससे उनकी मौत हो गई। ध्यान फाउंडेशन की अधिकारी के मुताबिक 150 गायें तो बीएसएफ की चौकियों पर ही मर गई थीं। फिलहाल सरकार इस गौशाला से गायों को अलग-अलग गौशालाओं में शिफ्ट करने की योजना बना रही है।