कोविशील्ड और कोवैक्सीन लांच होने के बाद देश में कोरोना का टीका तेजी से लगाया जा रहा है। इसके बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 14 जनवरी को एक नोट जारी करके बताया है कि किन लोगों को वैक्सीन लेनी है और किस तरह से। मंत्रालय ने साफ किया है कि हर हाल में पहली और दूसरी डोज एक ही वैक्सीन की होनी चाहिए। इंटरचेंजिंग खतरनाक हो सकती है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, वैक्सीन 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए है। गंभीर रूप से बीमार और अस्पताल में दाखिल लोगों को पूरी तरह से ठीक होने के 4 से 8 सप्ताह बाद ही वैक्सीन दी जानी चाहिए। गर्भवती, स्तनपान कराने वाली महिलाओं के मामले में भी सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। मंत्रालय का कहना है कि वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल गर्भवती महिला पर नहीं किया गया है। गर्भ धारण के बाद महिला की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। ऐसे समय में महिला को वैक्सीन न लगाने की सलाह दी गई है।

ब्लीडिंग या कोगुलेशन डिसऑर्डर (जैसे, क्लॉटिंग फैक्टर डिफिसिएंसी, कोगुलोपैथी या प्लेटलेट डिसॉर्डर) के इतिहास वाले व्यक्ति को सावधानी के साथ वैक्सीन लगाया जाना चाहिए। इन स्थितियों में कोरोना वैक्सीन के लिए रोक नहीं है। कोविड-19 वैक्सीन की पिछली खुराक की वजह से एलर्जी रिएक्शन वाले लोग वैक्सीन नहीं ले सकेंगे। वैक्सीन या इंजेक्टेबल थैरेपी, फार्मास्युटिकल उत्पाद, खाद्य-पदार्थ आदि से तुरंत या देरी से शुरू होने वाली एनाफिलेक्सिस या एलर्जी रिएक्शन वालों के लिए भी वैक्सीन की मनाही होगी।

गाइडलाइंस कहती हैं कि उन लोगों को वैक्सीन देते समय विशेष सावधानी बरतनी होगी जो संक्रमण (सीरो-पॉजिटिवटी) या आरटी-पीसीआर पॉजिटिव की पुरानी हिस्ट्री से जुड़े रहे हों। पुरानी बीमारियों और मॉर्बिडिटीज (कार्डिएक, न्यूरोलॉजिकल, पल्मोनरी, मेटाबॉलिक, गुर्दे, मालिगनेंसीज) वाले लोगों को लेकर भी सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है। इम्यूनो-डिफिसिएंसी, एचआईवी, किसी भी स्थिति के कारण इम्यून-सप्रेशन के मरीज भी इस श्रेणी में शामिल हैं। एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया का कहना है कि इन व्यक्तियों में कोविड-19 वैक्सीन की प्रतिक्रिया कम हो सकती है। उनका कहना है कि मंत्रालय की गाइडलाइंस को ध्यान में रखकर वैक्सीन लगवानी चाहिए। जिन लोगों को एहतियात बरतने की सलाह दी गई है, उन्हें खास ध्यान रखना चाहिए।