जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने अपने ‘मिशन 2020’ के लक्ष्य की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर तलत अहमद का दावा है कि जामिया अपने स्वर्ण जयंती वर्ष (2020) में प्रवेश से पहले ‘शोध और अकादमिक उपलब्धियों’ के बल पर चोटी के अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों की सूची में शामिल होगा। इस बाबत बीते दो साल में कई फैसले लिए गए हैं जिनमें नए पाठ्यक्रम शुरू करने से लेकर समूची प्रक्रिया को आॅनलाइन करने, एनएएसी एक्रेडिशन (ग्रेड ए) व सेंटर आॅफ एक्सीलेंस का तमगा पाने और प्लेसमेंट व इंफ्रास्ट्रक्चर को वैश्विक स्तर तक ले जाने के फैसले शामिल हैं। इसके अलावा देश-विदेश के उम्दा संस्थानों से 60 समझौते किए गए हैं जिनका लाभ निकट भविष्य में विश्वविद्यालय को मिलने वाला है। ये समझौते राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री की अगुआई में अरब देशों से किए गए हैं।

जामिया 2020 में सौ साल पूरे करने जा रहा है। इसकी स्थापना 1920 में बापू से प्रेरित होकर राष्ट्रवादी ‘अली बंधुओं’ ने की थी। अकादमिक और वैज्ञानिक करियर वाले प्रो तलत अहमद जामिया मिल्लिया इस्लामिया के 14वें कुलपति हैं। उनसे पहले दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग इस पद पर आसीन थे। उनके जाने के बाद करीब आठ महीने तक कुलपति का पद खाली रहा। प्रो तलत अहमद को ऐसे समय में कुलपति की जिम्मेदारी सौंपी गई जब जामिया कई चुनौतियों से जूझ रहा था। इसकी रेटिंग काफी गिर चुकी थी और एक सर्वे में तो इसे टॉप 50 में भी स्थान नहीं मिला था।

विश्वविद्यालय की नई योजनाओं पर जनसत्ता ने कुलपति से बात की। प्रो तलत अहमद ने कहा कि उन्होंने ‘शोध और अन्वेषण’ और ‘सेकेंड लाइन लीडरशीप’ दो मुद्दों पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया है। यह जामिया को केंद्रीय विश्वविद्यालय के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय बनाएगा। ‘शोध और अन्वेषण’ को आगे बढ़ाने के लिए दो अलग डीन की नियुक्ति की गई। सभी डीन के साथ डिप्टी डीन के तौर पर अपेक्षाकृत युवा अधिकारियों को आगे लाया गया है। इसके अलावा जामिया ने विश्व को एडवांस सेंटर फॉर इंटरडिसिप्लिन रिसर्च (एसीइआर) का प्लेटफार्म मुहैया कराया है।

इसके तहत जामिया विश्व के अलग-अलग देशों में शोध कर रहे उन शोधार्थियों को एक मौका देगा, जो अपनी मातृभूमि के लिए कुछ करना चाहते हैं। उन्हें पांच साल तक भारत सरकार की ओर से विशेष छात्रवृत्ति मिलेगी। उन्होंने बताया कि इस मुहिम से छह लोग जुड़ चुके हैं। करीब 20 लोगों को और जोड़ना है। इसके नतीजे आने वाले दिनों में दिखने शुरू होंगे। इसके अलावा ‘जी-जान’ (ग्लोबल जामिया अलुमनाई एसोसिएशन नेटवर्क) का विशेष अभियान रंग ला रहा है। जामिया के अलुनाई शोध व छात्रवृत्ति के लिए दान व कार्य के लिए आगे आ रहे हैं। इसके अलावा विश्वविद्यालय को एक साल के भीतर पूरी तरह वाई-फाई कर दिया जाएगा। इसके लिए पौने नौ करोड़ रुपए का बजट मिल चुका है। बता दें कि अभी यहां 45 फीसद इलाका ही ‘वाई-फाई’ सुविधा युक्त है।

कुलपति ने दावा किया कि जामिया में दाखिले की भारी मांग है। वे इसके लिए कैंपस से बाहर स्टडी सेंटर खोलने पर काम कर रहे हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा छात्रों को स्तरीय शिक्षा दी जा सके। जामिया प्रशासन की ओर से मुहैया कराए गए आंकड़ों के मुताबिक, जामिया अब संभवत: देश का पहला ऐसा विश्वविद्यालय बन गया है जहां आवेदन और दाखिले का अनुपात 24 :1 का है, जबकि दिल्ली विश्वविद्यालय में यह अनुपात 6:1 का है। यही वजह है कि जामिया आम जन तक तालीम पहुंचाने के लिए एक साल में 30 से ज्यादा स्टडी सेंटर खोल चुका है। यह संख्या बढ़कर अब 92 हो गई है। जामिया ‘मिशन 2020’ के तहत इसे दो गुना करने के लक्ष्य पर काम कर रहा है।

कुलपति ने कहा कि उनके कार्यकाल में 14 नए पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं। बीते साल 5 और इस शैक्षणिक सत्र में 9 नए पाठ्यक्रम शुरू किए गए। इसके अलावा ‘परीक्षा सुधार’ की कड़ी में कुलपति ने जो सुधार किए उसमें पूरी प्रक्रिया को आॅनलाइन बनाना, प्रवेश परीक्षा राज्यों में बने जामिया केंद्रों के जरिए देना, दाखिले के लिए दिल्ली आने की अनिवार्यता खत्म करना जैसे फैसले शामिल हैं। उन्होंने दावा किया कि जामिया से 31 देशों के छात्र जुड़े हैं।