Delhi Elections 2020: अनधिकृत कॉलोनियों को पक्का करने का शुरुआती चुनावी मुद्दा पीछे छूट गया है। दिल्ली दंगल के अंतिम चरण में शाहीन बाग सबसे आगे है। वोटर प्रभावित हो रहे हैं, दलगत रुझान पल-पल बदल रहे हैं। चुनावी पंडितों का मानना है कि भाजपा सिर्फ इसी मुद्दे से अपने लक्ष्य को आसान देख रही है।
बता दें कि दोनों ही बड़े दल (आप-भाजपा) के लिए काम पर लगी एजंसिया हर रोज सर्वे रपट अपने-अपने आला कमान को दे रही हैं। वे बता रहीं हैं कि सीटों का समीकरण कैसे बदलेगा। उनका दावा है कि 40 फीसद से ज्यादा वोट लाने वाला दल सरकार बना ले जाएगा। यही वजह है कि पुरानी लड़ाई में नए-नए हथियार अपनाए जा रहे हैं। जानकारों की मानें तो शाहीन बाग और जामिया मिल्लिया इस्लामिया जैसे मुद्दे जारी रहेंगे। संभव है कि भाजपा की ओर से विवादित बयान न थमे और ‘आप’ के अगुवा मुसलिम इलाकों में सभाएं शुरू करें जिनसे वे अभी तक दूर हैं।
पाकिस्तान, शाहीन बाग और शरजील इमाम जैसे मुद्दे के आने से ध्रुवीकरण की सियासी बिसात जिस तरह से बिछी उससे साफ है कि दिल्ली के चुनाव में वोटों का ध्रुवीकरण हुआ तो डेढ़ दर्जन विधानसभा सीटों पर समीकरण बदल सकते हैं। नजफगढ़, शकूर बस्ती, शालीमार बाग, राजौरी गार्डन, गांधी नगर, विश्वास नगर, शाहदरा, रोहताश नगर, मुस्तफाबाद, घोंडा में बाजी पलट सकती है। सनद रहे कि केजरीवाल सरकार के दो मंत्री कैलाश गहलोत और सत्येंद्र जैन को भी बहुत कम वोटों से जीत मिली थी और बीजेपी की किरण बेदी को मामूली वोट से हार का सामना करना पड़ा था। शाहीन बाग को लेकर भाजपा जितनी आक्रामक है, आम आदमी पार्टी उतना ही बैकफुट पर है। अरविंद केजरीवाल से लेकर ‘आप’ के तमाम नेता शाहीन बाग पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। उन्हें लगता है कि एक तरफ कुआं है तो दूसरे तरफ खाई। कुछ बोला तो मुसलिम वोट छिटक जाएंगे और अगर साथ दिया तो हिंदू। दिल्ली में करीब 12 फीसद मुस्लिम मतदाता हैं। 8 विधानसभा सीटें मुस्लिम बहुल माना जाती हैं। इन सीटों पर 45 से 60 फीसद मुसलिम वोटर हैं। तकरीबन सभी पर ‘आप’ जीती थी।
इस बार भी ‘आप’ का इन सभी सीटों पर भारी है लोकिन शाहीन बाग उन्हें डेढ़ दर्जन सीटों पर नुकसान पहुंचाने की स्थिति में पहुंच गया है। इसका अंदाजा ‘आप’ को भी है। वो संभावित नुकसान से बचने के लिए चुनाव आयोग की शरण में है। ‘आप’ ने साथ ही चुनाव आयोग से जरूरी कदम उठाने के लिए कहा। शुक्रवार को आम आदमी पार्टी ने दावा किया कि भाजपा दिल्ली के शाहीन बाग और जामिया मिल्लिया इस्लामिया में एक बड़े बवाल की योजना बना रही है, जहां सीएए विरोधी प्रदर्शन जारी हैं। ‘आप’ ने साथ ही चुनाव आयोग से जरूरी कदम उठाने के लिए कहा। वरिष्ठ ‘आप’ नेता संजय सिंह ने दावा किया कि उनके पास सबूत है और वह चुनाव आयोग से इस संबंध में बात करेंगे। हालांकि, दिल्ली भाजपा के मीडिया प्रभारी अशोक गोयल ने इस दावे को बेतुका बताते हुए खारिज किया है।
इस कड़ी में 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा की फतह की लड़ाई अब 40 फीसद वोट ले आने या इतना फीसद वोट फीसद बचा पाने की हो गई है। ‘आप’ की चुनौती अपने वोट फीसद को बरकरार रखना है तो भाजपा की जुगत आठ फीसद वोट बढ़ाना है। इस कड़ी में जहां अरविंद केजरीवाल मुसलिम बहुल आठ सीटों को बचाने की रणनीति पर बढ़ रहे हैं तो भाजपा की उन 14 सीटों पर नजर है जहां हार का अंतर करीब 10 हजार था। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में ‘आप’ को 54, भाजपा को 52 और कांग्रेस को 9 फीसद वोट आए थे। लेकिन महज तीन सीटों पर सिमटने वाली भाजपा 10 सीटों पर आठ हजार से कम वोटों से हारी थी।

