चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस जे एस केहर अपनी पत्नी मधुप्रीत कौर केहर को अक्सर शेरखान और टाइगर नाम से पुकारते हैं। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में देश के मुख्य न्यायाधीश केहर ने इस बात को साझा किया। इंडियन एक्स्प्रेस द्वारा जारी किये गए देश की 100 सबसे शक्तिशालि शख्सियतों में चीफ जस्टिस केहर चौथे पायदन पर हैं। जे एस केहर देश के 44वें मुख्य न्यायाधीश हैं। देश पहले सिख चीफ जस्टिस जे एस केहर ने जजों की नियुक्ति के लिए बनाए गए विवादास्पद ‘नेशनल जुडिशियल अपॉइंटमेंट कमिशन (एनजेएसी) का नेतृत्व किया है। मोदी सरकार के हस्तक्षेप के बाद भी जस्टिस केहर ने जिस तरह से कॉलेजियम को शक्ल दी उसकी जमकर सराहना हुई थी। जस्टिस केहर सुप्रीम कोर्ट में देश और समाज के लिए महत्वपूर्ण जनहित याचिकाओं की सुनवाई में भी खासे दिलचस्पी लेते हैं।
केहर 13 सितंबर, 2011 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त हुये थे। न्यायमूर्ति केहर को आठ फरवरी 1999 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। इसके बाद दो अगस्त, 2008 को उन्हें इसी उच्च न्यायालय का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बनाया गया। न्यायमूर्ति केहर 17 नवंबर, 2009 को उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने। इसके बाद उन्हें आठ अगस्त, 2010 को कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की जिम्मेदारी भी सौंपी गयी।
ठेका और दिहाड़ी मजदूरों के लिए भी ‘समान काम के लिए समान वेतन’ के नियम को कड़ाई से पालन करने का ऐतिहासिक फैसला देने वाले बेंच के मुखिया भी जस्टिस केहर ही थे। वे सुब्रत राय सहारा को जेल भेजने वाली बेंच में भी शामिल थे। शीर्ष न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति को लेकर जब कार्यपालिका के साथ तनाव की स्थिति थी, तब 26 नवंबर को संविधान दिवस पर जस्टिस खेहर ने अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी के तीखे भाषण का यह कहकर जवाब दिया था कि न्यायपालिका अपनी ‘लक्ष्मणरेखा’ में रहकर ही काम कर रही है।
27 अगस्त 2017 को जे एस केहर चीफ जस्टिस के पद से रिटायर हो जाएंगे। खबर है कि इसके बाद वो आधार कार्ड की अनिवार्यता और उससे नागरिकों की गोपनीयता बनाए रखने के संबंध में बनाई जा रही संवैधानिक समीति की अध्यक्षता कर सकते हैं।