वर्ल्‍ड बैंक ने अपने वर्गीकरण मानकों में बदलाव क‍िया है और देशों को ‘व‍िकस‍ित’ या ‘व‍िकासशील’ देश के तौर पर च‍िह्न‍ित करने के बजाय प्रत‍ि व्‍यक्‍त‍ि सकल राष्‍ट्रीय आय (ग्रॉस नेशनल इनकम) को वर्गीकरण का आधार बनाया है। व‍िश्‍व बैंक ने वर्गीकरण का आधार ज्‍यादा पुख्‍ता करने के ल‍िए यह मानक अपनाने का न‍िर्णय क‍िया है।

वर्ल्‍ड बैंक ने अर्थव्‍यवस्‍था के बंटवारें की श्रेणियों के नामों में परिर्वतन किया है। वर्ल्‍ड बैंक के डाटा साइंटिस्‍ट तारिक खोखर ने बताया, ”हमारे वर्ल्‍ड डवलपमेंट इंडिकेटर्स पब्लिकेशन में हमने लो और मिडिल इनकम वाले देशों को विकासशील देशों के साथ रखना बंद कर दिया है। विश्‍लेषणात्‍मक उद्देश्‍य से भारत को लोअर मिडिल इनकम अर्थव्‍यवस्‍था में रखा जा रहा है। हमारे सामान्‍य कामकाज में हम विकासशील देश की टर्म को नहीं बदल रहे हैं। लेकिन जब स्‍पेशलाइज्‍ड डाटा देंगे तो देशों की सूक्ष्‍म श्रेणी का प्रयोग करेंगे।”

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वर्ल्‍ड बैंक की ओर से कहा गया है कि मलावी और मलेशिया दोनों विकासशील देशों में गिने जाते हैं। लेकिन अर्थव्‍यवस्‍था की दृष्टि से देखें तो मलावी का आंकड़ा 4.25 मिलियन डॉलर है जबकि मलेशिया का 338.1 बिलियन डॉलर है। नए बंटवारे के बाद अफगानिस्‍तान, नेपाल लो इनकम में आते हैं। रूस और सिंगापुर हाई इनकम नॉन ओईसीडी और अमेरिका हाई इनकम ओईसीडी कैटेगिरी में आता है।

नई श्रेणियों को निर्धारण वर्ल्‍ड बैंक ने कई मानकों के आधार पर किया है। इनमें मातृ मृत्‍यु दर, व्‍यापार शुरू करने में लगने वाला समय, टैक्‍स कलेक्‍शन, स्‍टॉक मार्केट, बिजली उत्‍पादन और साफ-सफाई जैसे मानक शामिल हैं।

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