उड़ी हमले के जवाब में सेना की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ की गई ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ कार्रवाई के बाद खुफिया एजंसियों ने देश में आतंकवादी हमले की आशंका जताई है। इसी के मद्देनजर केंद्र की ओर से जारी परामर्श के बाद दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। सूत्रों के मुताबिक, उड़ी हमले के बाद रिकॉर्ड की गर्इं फोन कॉल्स और कुछ संदिग्ध लोगों की गतिविधियों के आधार पर खुफिया एजंसी ने एक रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपी है, जिसमें आतंकी खतरा होने का खुलासा किया गया है। इसके बाद गृह मंत्रालय के निर्देश पर दिल्ली पुलिस ने अलर्ट जारी कर दिया है। केंद्र ने शुक्रवार को अलर्ट जारी कर पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों की ओर से हमले के किसी भी प्रयास को नाकाम करने के लिए चौकसी बढ़ाने को कहा। इस कड़ी में पुलिस ने संवेदनशील माने जाने वाले इस इलाके में गश्त भी बढ़ा दी है। वहीं मुख्य बाजारों के प्रवेश और निकास द्वारों पर भी मचानों की संख्या बढ़ा दी गई है।

दिल्ली पहले भी कई बार आंतकी हमले की शिकार हो चुकी है। पुलिस का मानना है कि पाकिस्तानी फौज की ओर से दिल्ली पर हमले की संभावना भले ही न हो, लेकिन पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में बैठे आतंकी गुटों के सरगना अपने गुर्गों के जरिए दहशत फैलाने की कोशिश कर सकते हैं। शनिवार से शारदीय नवरात्र भी शुरू हो रहे हैं। लिहाजा प्रमुख बाजारों, मंदिरों, लुटियन दिल्ली के चुनिंदा परिसरों व भवनों के अलावा सार्वजनिक जगहों-जैसे रेलवे स्टेशन व बस अड्डों पर भी सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी गई है। कालकाजी व झंडेवलान मंदिर सहित दिल्ली के संवेदनशील कहे जाने वाले सभी इलाकों में भी सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता कर दी गई है।

पुलिस के मुताबिक, मुख्य इलाकों के सभी मचानों पर अत्याधुनिक हथियारों के साथ जवान तैनात किए गए हैं। वहीं लगातार चेकिंग भी की जा रही है। हालात को देखते हुए संदिग्ध लोगों और वाहनों की तलाशी ली जा रही है। इस काम में अर्धसैनिक बलों को भी लगाया गया है। सुरक्षा बलों ने राजधानी की मुख्य इमारतों पर कड़ा पहरा लगा रखा है और मॉल व बाजार जैसे भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जांच की जा रही है। बता दें कि 2008 में दिल्ली के सरोजनी नगर बाजार में सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। पुलिस के मुताबिक, जीके के एम-ब्लॉक स्थित मार्केट में बमों को कूड़ेदान में रखा गया था। इससे पहले दीपावली से ठीक एक दिन पहले 29 अक्तूबर, 2005 को आतंकवादियों ने तीन सिलसिलेवार बम धमाके कर दहशत फैलाई थी। आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की ओर से पहाड़गंज मार्केट, सरोजिनी नगर मार्के और गोविंदपुरी में किए गए इन धमाकों में 62 लोग मारे गए थे और करीब 210 घायल हुए थे।

इससे पहले 22 दिसंबर 2000 को लाल किले पर और 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हमला करने वाले भी पाक परस्त लश्कर-ए-तैयबा के ही आतंकवादी थे। लाल किले पर हमले में 7-राजपूताना राइफल्स के तीन जवान मारे गए थे। इस मामले में मो. आरिफ को फांसी की सजा भी सुनाई गई। 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हमला करने वालों में लश्कर-ए-तैयबा के अलावा जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों का भी हाथ था। इस हमले में पांच आतंकवादियों समेत 14 लोग मारे गए थे और 20 से ज्यादा घायल हुए थे।