कर विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार की ओर से एक फीसद के अतिरिक्त अंतरराज्यीय कर को हटाने के प्रस्ताव से वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) सुगम होगा और भ्रम खत्म होगा। राज्यसभा में इस सप्ताह आजादी के बाद देश के सबसे बड़े अप्रत्यक्ष कर सुधार पर चर्चा होगी। इसके बीच सरकार ने प्रमुख विपक्षी दल की वस्तुआें की अंतरराज्यीय आवाजाही पर एक फीसद के अतिरिक्त कर को हटाने की मांग मान ली है। राज्यों को पहले पांच साल तक पूरे राजस्व नुकसान की भरपाई करने पर भी सहमति बनी है।
बीएमआर एंड एसोसिएट्स एलएलपी के भागीदार महेश जयसिंह ने कहा कि सरकार के अंतरराज्यीय आपूर्ति पर एक फीसद का अतिरिक्त कर खत्म करने के प्रस्ताव से जीएसटी सरल होगा। उनका मानना है कि इस कर से अंतरराज्यीय आपूर्ति पर व्यापक असर पड़ता। इससे कंपनियों के भंडारगृह व लॉजिस्टिक्स पर निवेश का फैसला भी प्रभावित होता।
विश्लेषकों का मानना है कि जीएसटी से देश की आर्थिक वृद्धि दर में दो फीसद अंक का इजाफा होगा। केपीएमजी के भागीदार व प्रमुख (अप्रत्यक्ष कर) सचिन मेनन ने कहा कि जीएसटी में किए गए बदलावों से सरकार की इस विधेयक को पेश करने की प्रतिबद्धता का पता चलता है। उम्मीद है कि हमारे प्रतिनिधि राष्ट्र को आगे रखते हुए जिम्मेदारी वाले व्यवहार के साथ जीएसटी विधेयक को पारित कराएंगे। राज्यसभा में इस सप्ताह यह विधेयक चर्चा के लिए सूचीबद्ध है। पीडब्लूसी की भागीदार (अप्रत्यक्ष कर) अनीता रस्तोगी ने कहा कि प्रस्तावित एक फीसद का कर जीएसटी की प्रमुख अवधारणा के अनुकूल नहीं था। इससे पूरी आपूर्ति शृंखला की लागत बढ़ती। इससे हटाने का फैसला स्वागत योग्य है। रस्तोगी का मानना है कि चालू मानसून सत्र में राज्यसभा जीएसटी को पारित कर देती है तो एक अप्रैल से इसे लागू करना संभव हो सकता है।
नांगिया एंड कंपनी के भागीदार नीतिश शर्मा ने कहा कि एक फीसद के अतिरिक्त कर को हटाना अनुकूल कदम है। इससे निश्चित तौर पर कर प्रक्रिया सरल होगी। डेलायट हास्किंस एंड सेल्स एलएलपी के वरिष्ठ निदेशक एमएस मणि ने कहा कि विनिर्माण राज्यों की भरपाई के लिए किए गए एक फीसद के अतिरिक्त कर के प्रस्ताव को खत्म करने से जीएसटी मूल्य शृंखला में प्रमुख असामान्य स्थिति खत्म होगी।